जीएसटी की दरें घटी पर कम होने के बजाय बढ़ सकते हैं प्रॉपर्टी के दाम

 
नई दिल्ली 

पहली अप्रैल से लॉन्च होने वाले और निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी की घटी हुई दरों के असर को लेकर ग्राहक ही नहीं, बिल्डर भी असमंजस में हैं। डिवेलपर्स का कहना है कि नई दरें लागू होने के साथ ही नवरात्र शुरू होने के चलते मकानों की बुकिंग में तेजी जरूर आएगी, लेकिन कीमतें घटने की संभावना नहीं है। 
 
इंडस्ट्री अभी यह तय नहीं कर पाई है कि बिना इनपुट क्रेडिट लिए जीएसटी की घटी दरों का लाभ ग्राहकों तक कैसे पहुंचाया जाए। अटकलों के बीच मार्च में बुकिंग में इजाफा हुआ है, लेकिन इसके पीछे जीएसटी रेट से ज्यादा वित्त वर्ष के अंत में अकाउंट क्लोजिंग से जुड़ी ऑफरिंग जिम्मेदार है। 

डिवेलपर्स के संगठन क्रेडाई के वाइस प्रेसिडेंट और गौड़ ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौड़ ने बताया कि रेट कट के बाद बायर्स का सेंटिमेंट काफी पॉजिटिव है, लेकिन कीमतों में कटौती के आसार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कीमतें ऊपर जा सकती हैं क्योंकि डिवेलपर्स को अब कच्चे माल पर चुकाए गए करों के अगेंस्ट इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि उनकी लागत में कोई कमी आएगी। हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि अब नई लॉन्चिंग में तेजी आएगी और डिमांड भी बढ़ेगी। 
 
प्रॉपटाइगर डॉटकॉम के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर अंकुर धवन ने कहा कि मार्च में बिक्री ज्यादा दर्ज की गई क्योंकि इंडस्ट्री में यह धारणा थी कि अप्रैल में कीमतें बढ़ सकती हैं। निश्चित तौर पर इनपुट क्रेडिट के बिना रेट कटौती का ज्यादा लाभ ग्राहकों तक पहुंचता नहीं दिख रहा, लेकिन 1% के लोअर रेट के चलते अफोर्डेबल सेगमेंट में डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। 

एसोचैम की अफोर्डेबल हाउसिंग पर नैशनल काउंसिल के चेयरमैन प्रदीप अग्रावाल ने कहा, ‘किफायती घरों पर जीएसटी 8% से सीधे 1% होने से बाजार में बायर्स सेंटिमेंट काफी ऊंचा हुआ है, इंक्वायरीज बढ़ी हैं और डिमांड में तेजी देखी जा रही है। हमारा मानना है इनपुट क्रेडिट के बिना भी इस स्तर तक हुई कटौती के चलते ऐसे घरों की डिमांड बढ़ेगी, जिसे भुनाने के लिए बिल्डर्स का फोकस भी इस ओर होगा। 

मार्च में कंपनियों की क्लोजिंग अकाउंट और एडजस्टमेंट्स के अलावा बायर्स के स्तर पर इनकम टैक्स छूट के लिए इन्वेस्टमेंट की होड़ भी थी, जिसके चलते बुकिंग में तेजी दर्ज की गई। चूंकि 31 मार्च 2019 तक बिल्डर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा दी गई थी, ऐसे में उनकी ओर से भारी भरकम छूट भी ऑफर की गई। गौरतलब है कि सरकार ने मेट्रो शहरों में 60 और नॉन-मेट्रो शहरों में 90 वर्गमीटर साइज के घरों को अफोर्डेबल करार देते हुए जीएसटी का 1% रेट तय किया है। उससे बड़े मकानों पर रेट 5% होगा। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *