भारत में यहां से चलेगी पहली बुलेट ट्रेन, दिल्ली मेट्रो से 40 फीसदी ज्यादा खपत होगी बिजली

दिल्ली
भारत में बुलेट ट्रेन को चलाने की तैयारी की जारी है। पहली बुलेट ट्रेन को मुम्बई से अहमदाबाद के बीच चलाया जाएगा। बुलेट ट्रेन के चलने बिजली का खर्च भी काफी बढ़ जाएगा। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पेोरेशन (एनएचएसआरसीएल) के एक अनुमान के अनुसार दिल्ली मेट्रो की तुलना में बुलेट ट्रेन 40 फीसदी ज्यादा बिजली खर्च करेगी। बताया जा रहा है कि बुलेट ट्रेन चलने पर हर साल 1100 मिलियन यूनिट बिजली का खर्च होगा।

फरवरी तक तैयार हो जाएगा ट्रैक
ट्रेनिंग के लिए बुलेट ट्रेन का ट्रैक बिछाने का काम शुरू कर दिया गया है. इस ट्रैक में 50 मीटर का एक घुमाव भी दिया गया है। इससे ट्रेनिंग करने वाले कर्मियों को यह समझने में मदद मिलेगी कि घूमाव पर बुलेट ट्रेन की पटरियां बिछाने में किस बात का ध्यान रखना है। अगर सालाना बिजली के खर्ज का अनुमान दिल्ली मेट्रो के लिए लगाया जाए तो यह आंकड़ा काफी कम हो जाएगा। दिल्ली मेट्रो में 850 मिलियन यूनिट बिजली का खर्च हर साल आता है। इतनी बिजली से दिल्ली मेट्रो 8 रूट के कुल 236 स्टेशन पर 350 किलोमीटर चलती है। बिजली खर्च पर अधिकारियों ने कहा कि खर्च में यह अंतर इसलिए है क्योंकि बुलेट ट्रेन को तुरंत स्पीड पकड़नी होती है। जो कि मेट्रो ट्रेन से कहीं ज्यादा है। वहीं, मेट्रो ट्रेन में रीजेनेरेटिंग ब्रेकिंग तकनीक मौजूद है। इस तकनीक के चलते मेट्रो में ब्रेक लगाने से बिजली पैदा होती है, यही पैदा हुई ऊर्जा फिर से मेट्रो के काम आ जाती है। इसी के चलते दिल्ली मेट्रो में बिजली का बिजली का खर्च कम होता है।

एनएचएसआरसीएल के मुताबिक, मुम्बई से गुजरात के बीच 350 किलोमीटर की दूरी के लिए हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाएगी। सितंबर 2017 में इसकी नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ रखी थी। बता दें कि, बीते जुलाई में अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कोरिडोर के लिए 2018 के अंत तक जमीन अधिग्रहण का कार्य निपटा लेने की पूरी संभावना जताई गई थी। हालाकिं अक्टूबर में ही कोर्ट में इस मामले में सुनवाई जारी थी।

किसानों की तरफ से मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में भूमि अधिग्रहण के संबंध में 40 नई याचिकाएं दायर की गई थी। किसानों को मनाने के लिए सरकार की तरफ से कोशिशें भी की गईं। गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों ने जमीन अधिग्रहण को लेकर रोड़े खडे़ किए तो सरकार ने सर्किल रेट से पांच गुना ज्यादा मुआवजा देकर मनाने की कोशिस की थी। सरकार दावा है कि इसमें सफलता मिली है।

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