चुनाव एक्सप्रेस: ‘मुफ्त का पैसा नहीं रोजगार दो, हम खुद कमा लेंगे’

 
नई दिल्ली 

गुरुवार सुबह जब नींद खुली तब ट्रेन सलेम जंक्शन को क्रॉस कर रही थी। ट्रेन में तीसरी रात पहली दो रातों से बेहतर गुजरी। शायद दो रातों की आदत की वजह से तीसरी रात नींद आराम से आ गई। ट्रेन में अब तक कई दोस्त बन गए हैं। नॉर्थ से साउथ में आकर बातचीत में सिर्फ भाषा का बदलाव ही नहीं दिख रहा है, बल्कि मुद्दे भी बदले लग रहे हैं। युवा रोजगार से लेकर यूएस वीजा जैसे मसलों पर बात कर रहे हैं। 
 
केरल के शरद और कोयंबटूर के ऋषभ से बात हुई। शरद कहते हैं कि केरल में धर्म के आधार पर बनी पार्टियों को लोग वोट नहीं देते, वहां बस मुस्लिम लीग इस तरह से चलती है। बाकी सब कैंडिडेट देखते हैं। वह कहते हैं कि बीजेपी के लिए केरल क्रेक करना इस बार भी मुश्किल है, क्योंकि केरल में सबने कम्युनिस्ट सरकार देखी है और वामपंथ लोगों के खून में है। हालांकि त्रिवेंद्रम के शिव कुमार को लगता है कि बीजेपी इस बार केरल में एक या दो सीट जीत सकती है। बातचीत चल ही रही थी एक नया शख्स कोच में आया। जिस सीट पर कोई और बैठा था उसे अपनी सीट बताई और फिर बाद में पता चला उसकी सीट कोई दूसरी है। 
 
इसपर अब तक उस सीट पर बैठे शख्स ने तंज किया- कितने पढ़े लिखे हो। इस पर दूसरे को इतना बुरा लगा कि बोलने लगा मैं बॉलिवुड में काम करता हूं। केरल का हूं और अगर कोई पढ़ाई पर सवाल उठाता है तो अच्छा नहीं लगता। हम केरल के लोग सबसे ज्यादा पढ़े लिखे होते हैं। फिर बातचीत के दौरान वह बॉलिवुड के बारे में बताने लगा। जब मैंने चुनाव पर चर्चा शुरू की तो बोला मुंबई में तो नेता लोग वोट खरीदते हैं, उन्हें लगता है कि वह मुंबई चला रहे हैं पर असल में मुंबई को माफिया चला रहे हैं। नाम पूछने पर बोले कहीं आप मेरी बात रेकॉर्ड तो नहीं कर रहे। हालांकि बाद में उनका नाम पता चल गया, लेकिन उन्हें नाम बताने में दिक्कत थी इसलिए मैं यहां नाम नहीं लिख रही। वह चुनावी चर्चा से ज्यादा बॉलिवुड में रुचि लेते दिखे तो मैंने फिर शरद, ऋषभ और बाकी लोगों से बातचीत शुरू की। 

'बिना काम पैसे नहीं चाहिए' 
5 करोड़ गरीबों को हर महीने 6 हजार रुपये देने की राहुल गांधी की घोषणा पर ऋषभ कहते हैं कि अगर बिना काम किए किसी को 6 हजार रुपये मिलते रहेंगे तो उसका दिमाग गलत दिशा में जाएगा। इसकी बजाय अगर नौकरी दे दें तो उसे भी अच्छा लगेगा कि मेहनत करके पैसे कमाए हैं, मुफ्त में पैसे नहीं मिल रहे सरकार से। 

ऋषभ खुद अपने पिता के साथ बिजनस में हाथ बंटाते हैं। प्रियंका गांधी के आने से क्या फर्क पड़ेगा इस सवाल पर मर्चेंट नेवी में कैडेट शरद कहते हैं कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। वह कहते हैं राजनीति को बिजनस बना दिया है। कहा कि तमिलनाडु में सब नेताओं के इंजिनियरिंग या मेडिकल कॉलेज हैं, जो पढ़कर निकलते हैं उन्हें कौन नौकरी देता है। बीटेक करके लोग 5-7 हजार रुपये में भी काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि यह हर राज्य का हाल है। अब डिग्री की कोई वैल्यू नहीं है। जब कॉलेज या कोर्स खोलने की इजाजत देते हैं तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बेस्ट हों। सबरीमाला इश्यू के बारे में वह कहते हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 
 

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