जापान के 400 साल पुराने बौद्ध मंदिर में आध्यात्मिक ज्ञान दे रहा 5.6 करोड़ रुपये का रोबोट

जापान के क्योटो में 400 साल पुराने प्राचीन बौद्ध मंदिर में भिक्षु किसी आध्यात्मिक गुरु की नहीं बल्कि एक रोबॉट की शरण में हैं। यहां 5.6 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया रोबो-मॉन्क ही भिक्षुओं को बौद्ध धर्म से जुड़ी शिक्षाएं दे रहा है। इस ऐंड्रॉयड (मानव की शक्ल वाले रोबॉट) को कन्नॉन नाम दिया गया है। यह रोबॉट दया के देवता से प्रेरित है और इसका मकसद खासकर युवाओं को मंदिर आने के लिए आकर्षित करना है।

रोबो-मॉन्क ने क्योटो के कोडाजी टेंपल में शनिवार को धार्मिक शिक्षाएं दीं। यह मंदिर 1619 में स्थापित किया गया था। इस रोबॉट को जेन टेंपल और ओसाका यूनिवर्सिटी के इंटेलिजेंस रोबॉटिक्स के प्रफेसर हिरोशी इशीगुरो ने एकसाथ मिलकर बनाया है। इसकी लंबाई करीब 77 इंच (1.95 मीटर) और वजन लगभग 59 किलोग्राम है। मंदिर युवाओं को आकर्षित करना चाहता था, जिसके लिए इस रोबो की मदद ली गई है।

टेंपल के प्रीस्ट ने टेंशो गोको ने कहा, 'बुद्धिज्म पूरी दुनिया में फैला है और हम चाहते हैं कि कन्नॉन की मदद से इसकी शिक्षाएं और लोदों तक फैलाई जाएं।' बता दें, केवल इसके सिर और हथेलियों को ही सिलिकॉन से बने स्किन जैसी मटीरियल से ढका गया है। यह हाथ भी जोड़ सकता है और सामने आने वाले व्यक्ति से नजरें भी मिलाता है।

इस रोबॉट की बाईं आंख में एक विडियो कैमरा इंस्टॉल किया गया है, जो इसे किसी सब्जेक्ट पर फोकस करने और आई-कॉन्टैक्ट जैसा फील देने में मदद करता है। इसमें हर प्री-प्रोग्राम बौद्ध शिक्षा जापानी में हार्ट सूत्र से आती हैं, जिन्हें इंग्लिश और चाइनीज में ट्रांसलेट किया गया है। टेंपल के प्रीस्ट चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग यहां रोबॉट को देखने आएं और बौद्ध धर्म से जुड़ाव महसूस करें।

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