जानिए गर्भावस्‍था में व्रत करना है कितना सुरक्षित

प्रेग्‍नेंसी के दौरान व्रत या उपवास करना चाहिए कि नहीं अकसर यह सवाल उठता है। हालाँकि, सदियों से महिलाएं गर्भावस्‍था में उपवास करती आई हैं लेकिन अब आधुनिक समय में सवाल उठने लगे हैं कि ऐसे समय में उपवास करना चाहिए कि नहीं। इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है फिर भी गर्भावस्‍था में उपवास करने के संभावित जोखिमों की जानकारी होनी चाहिए। इन्‍हीं के आधार पर और अपने डॉक्‍टर की सलाह पर फैसला लिया जाना चाहिए।

गर्भावस्‍था पर व्रत और उपवास का असर
अब तक हुए तमाम अध्‍ययन बताते हैं कि गर्भावस्‍था में लंबे समय तक भोजन-पानी से दूर रहने के कई प्रभाव होते हैं। इनमें से कुछ तो कम समय के लिए होते हैं और कुछ लंबे समय तक रहते हैं। गर्भावस्‍था में व्रत के कुछ प्रमुख प्रभाव हैं:
– गर्भस्‍थ शिशु के समय पूर्व प्रसव या प्रिमच्‍योर बर्थ का जोखिम बढ़ जाता है।
– डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण का जोखिम बढ़ जाता है।
– व्रत करने से आशंका है कि बच्‍चा कम वजन का पैदा हो। हालांकि यह अंतर मामूली होता है।
– यह भी आशंका है कि बच्‍चे की लंबाई भी कम हो।
– व्रत से गर्भकाल भी कम हो सकता है।
– जच्‍चा और बच्‍चा दोनों को जरूरी पोषण की कमी हो सकती है।

अगर व्रत करें तो ये सावधानी बरतें
अगर आपने अपने डॉक्‍टर से सलाह करके व्रत रखने का फैसला ले लिया है तब भी ये सावधानियां बरतना जरूरी हैं:

– व्रत शुरू करने से पहले ठीक से भोजन कर लें।
– जिस व्रत में पानी से परहेज हो तो उससे पहले अच्‍छी तरह से पानी या पेय पदार्थ पी लें।
– व्रत के दौरान घरेलू कामकाज या शारीरिक मेहनत न करें या कम से कम करें।
– अगर बीच में कमजोरी लगे या दिक्‍कत होने लगे तो व्रत तोड़ने में हिचकें नहीं।
– व्रत तोड़ने के बाद पहले हल्‍का भोजन लें क्‍योंकि आपका पाचनतंत्र स्‍लो हो गया है।
– तनाव न लें और आराम करें।

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