जस्टिस बोबड़े ने पूछा- क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं?
नई दिल्ली
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने गुरुवार को बड़ी टिप्पणी की. चीफ जस्टिस ने कहा कि अयोध्या केस में सुनवाई 18 अक्टूबर तक खत्म होनी जरूरी है. अगर सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी नहीं हुई तो फैसला देने का चांस खत्म हो जाएगा.
इसके बाद जब गुरुवार दोपहर को लंच के बाद निर्वाणी अखाड़ा ने दखल दिया तब भी चीफ जस्टिस भड़क गए और पूछा कि क्या हम कार्यकाल के आखिरी दिन तक सुनवाई करेंगे? सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अयोध्या केस पर सुनवाई का 32वां दिन है.
गुरुवार की सुनवाई के बड़े अपडेट्स:
अयोध्या मामले में ASI की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि वहां पर हाथी और किसी जानवर की मूर्ति मिलने से ये नहीं कहा जा सकता कि वहां पर मंदिर ही होगा. क्योंकि उस समय में वो खिलौना भी हो सकता है, जिसको किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता.
अरोड़ा ने कहा कि वहां पर 383 आर्किटेक्चर अवशेष मिले थे, जिसमेँ से 40 को छोड़कर कोई भी मंदिर का हिस्सा नहीं कहा जा सकता. शिलाओं पर बने कमल के निशान पर अरोड़ा ने कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वह मंदिर ही है क्योंकि वह जैन, मुस्लिम बौद्ध और हिंदू धर्मों के भी पवित्र चिन्ह हो सकते है.
इस पर जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं? इस सवाल का मीनाक्षी अरोड़ा ने सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि हो सकता है. इसके बाद जस्टिस बोबड़े ने अपने साथ बेंच में बैठे जज जस्टिस नजीर से इसका जवाब जानना चाहा कि क्या मस्जिदों में भी कमल के निशान होते हैं. जस्टिस नजीर ने कहा कि मेरी जानकारी में ऐसा नहीं है. मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि कमल के चित्र को हिंदू, मुस्लिम, बुद्ध सभी इस्तेमाल करते रहे है. इसका इस्तेमाल मुस्लिम और इस्लामिक आर्किटेक्ट में होता रहा है.
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि जिन 85 खंभों की बात की जा रही है उन पर कई इतिहासकारों और पुरातत्वविदों में मतभेद हैं. खंभे अलग आकार और ऊंचाई के हैं. अगर वो एक ही सतह वाले आधार पर थे तो ऊंचाई अलग-अलग होने का क्या मतलब? उन्होंने कहा कि वो पश्चिमी दिशा वाली दीवार ईदगाह की क्यों नहीं हो सकती? ऐसा मानने में क्या हर्ज है? क्योंकि वो दीवार बिल्कुल अलग और अकेली है और खंभे बिल्कुल अलग हैं. वो खंभे खोखली जगह पर ईंटों की जमावट से भी बनाए गए हो सकते हैं.
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम ASI रिपोर्ट के लेखकों के निष्कर्ष से उलट कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते. खंभों की ऊंचाई और आकार पर भी CJI ने कहा कि इससे आप ये बताना चाहती हैं कि ये अलग-अलग फ्लोर अलग अलग समय मे बने थे.
निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास के वकील की दलील और सुनवाई की अर्ज़ी से नाराज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक बार फिर समय सीमा का हवाला दिया. वकील ने अतिरिक्त 20 मिनट का समय दखल देने के लिए मांगा था.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने वकीलों से कहा कि दलील के बीच में अपनी बात आखिरी दिन या सुनवाई के दौरान में कभी बोल सकते हैं. जो वकील अपना मुद्दा उठाना चाहते हैं उन्हें चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम बहस करते जाएंगे तो क्या मेरे कार्यकाल के आखिरी दिन तक बहस होगी?
CJI ने कहा कि हमने पहले ही शेड्यूल दे दिया है और अब इसी वक्त पर डटे रहेंगे. आप एक ही दलील के साथ आते रहते हैं, आप दूसरे वकीलों से बात कर अपनी बहस के लिए वक्त निकाल लें.