जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्‍म करना कितना सही, परखेगा सुप्रीम कोर्ट

 
नई दिल्ली 

आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म करने का केंद्र सरकार का फैसला कितना सही है, सुप्रीम कोर्ट इसे परखेगा। कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में बदलाव वाले इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। अदालत ने इस मामले को 5 जजों की संवैधानिक बेंच में भेज दिया, जो अक्टूबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगी। 
 सुप्रीम कोर्ट में 11 याचिकाएं दायर कर जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन ऐक्ट 2019 और इस बारे में जारी राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती दी गई है। इन्हें अवैध बताते हुए दलील दी गई कि ये कानून और आदेश जम्मू-कश्मीर के लोगों को संविधान से मिले मूल अधिकारों का हनन है। स्थानीय जनता से बिना पूछे यह फैसला लिया गया है। 

केंद्र को नोटिस न जारी करने का अनुरोध 
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच से कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी न किया जाए। पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए दलील दी गई कि इसका फायदा सीमा पार के लोग उठा सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा या जो भी दलीलें होंगी, उन्हें संयुक्त राष्ट्र में मुद्दा बनाया जा सकता है। अब तक देश में इसे लेकर जो कुछ भी हुआ है, उसे यूएन में उठाया जा चुका है। लेकिन अदालत ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया और केंद्र व जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर उनसे याचिकाओं पर जवाब देने को कहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं। हमने जो आदेश दिया है, उसे हम बदलने नहीं जा रहे हैं। 

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला किया था और उसी दिन राष्ट्रपति ने इस बारे में आदेश भी जारी किया था। सरकार ने राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटकर इस बारे में संकल्प को भी दोनों सदनों में भारी बहुमत से पास कराया है। 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *