अनियमित पीरियड्स की समस्या से जूझ रही हैं 55 फीसदी से ज्यादा लड़कियां

'लड़की की शादी लेट हो तो चलेगा, लेकिन पीरियड्स लेट हों तो चिंता की बात है।' हाल में ही महिलाओं पर बने एक विडियो में ऐक्ट्रेस रानी मुखर्जी यह संदेश देती दिख रही थीं। वैसे यह वाकई चिंता की बात है क्योंकि 55.2 फीसदी लड़कियों के पीरियड्स अनियमित हैं। हाल में ही हुए एक सर्वे से यह बात सामने आई है। दरअसल लड़कियों में पीरियड्स को लेकर कैसी समस्याएं सामने आ रही हैं और इस बारे में लड़कियां खुद कितनी जागरूक हैं, इसे लेकर एक सर्वे हुआ था जिसमें करीब 6 हजार लड़कियों से इस मुद्दे से जुड़े सवाल किए गए थे। 18 से 24 साल की उम्र की लड़कियों के बीच हुए सर्वे में अधिकतर ने माना कि उन्होंने अनियमित पीरियड्स की समस्या से निपटने में किसी की मदद लेने के लिए लंबा इंतजार किया है, कई मामलों में तो कुछ महीनों से लेकर सालभर तक।

अनियमित पीरियड्स की समस्या
13 साल की उम्र में शुरू हुए निधि मिश्रा के पीरियड्स कभी रेग्युलर नहीं थे। तब स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ती थी और अब ऑफिस के कम से कम 1 दिन के काम का नुकसान होता है। दर्द और अनियमित पीरियड्स से परेशान होकर निधि ने हाल में ही एक गाइनैकॉलजिस्ट से ट्रीटमेंट लिया। आकांक्षा को भी ऐसी ही समस्या से जूझना पड़ रहा था। उनके पीरियड्स शुरूआती कुछ सालों तक तो नियमित थे, लेकिन वजन पर कंट्रोल नहीं रहा, तो पीरियड्स भी अनियमित हो गए। आकांक्षा बताती हैं कि डॉक्टर के पास गई तो पता चला कि पीसीओडी की समस्या है।

ओवरी में सिस्ट बनने पर अनियमित हो जाते हैं पीरियड्स
गाइनैकॉलजिस्ट डॉ. शिवानी गौड इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रॉडक्टिव की सचिव हैं, वह कहती हैं, 'वैसे तो पीरियड की शुरुआत होने के बाद से एक से दो साल में ये रेग्युलर हो जाता है, अगर नहीं हो पा रहा तो उन लोगों की लाइफस्टाइल में कुछ दिक्कत होगी। या तो उनका वजन ज्यादा है यानी ओबेसिटी है। इसकी वजह से ओवरी में सिस्ट बन जाता है और पीरियड अनियमित हो जाते हैं। इसकी वजह जंक फूड खाना, एक्सर्साइज न करना, सुस्त जिंदगी बिताना और वजन का बढ़ते जाना है।' पीरियड पेन के बारे में वह कहती हैं कि अगर लड़कियों को लगता है कि उन्हें दूसरों से ज्यादा दर्द हो रहा है, तो हो सकता है यह उनके लिए नया अनुभव है, इसलिए ऐसा लगता हो। अगर लंबे समय तक बहुत तेज दर्द होता है तो उसे इग्नोर नहीं करना चाहिए। यह एंडोमीट्रिओसिस बीमारी की वजह से हो सकता है। इसलिए चेकअप जरूर कराएं। सामान्य मामलों में लड़कियां पेनकिलर ले सकती है।

पीरियड्स की वजह से डिस्टर्ब रहती है जिंदगी
इस दौरान अधिकतर लड़कियों कहती हैं कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ता है, क्योंकि स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को स्पोर्ट्स में जाना होता है, स्विमिंग होती है या किसी को एनिमिक होने की वजह से कमजोरी लगती होगी। हमने स्कूलों का सर्वे किया था तो पता चला था कि स्कूलों में पढ़ने वाली 50 फीसदी से ज्यादा लड़कियां एनीमिक हैं। उन्हें दर्द भी ज्यादा होता है। इसलिए इस समस्या को खत्म करने के लिए उन्हें आयरन सप्लिमेंट दिया जाता है।' जिन लड़कियों में पीएमएस के लक्षण हैं, उन्हें विटामिन सप्लिमेंट दिए जाते हैं, हालांकि पहले हॉर्मोंस दिए जाते थे लेकिन वह सेफ नहीं है, इसलिए यूरोपियन सोसायटी भी कह चुकी है कि पीएमएस या पीसीओडी की समस्या होने पर कम उम्र में हॉर्मोंस नहीं देने चाहिए क्योंकि इससे उनकी ग्रोथ रुक जाती है और लंबाई भी कम रह सकती है।

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