जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने पर राज्यसभा की मंजूरी, आरक्षण बिल भी पास

नई दिल्ली
तीखी बहस के बाद सोमवार को राज्यसभा ने जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अगले 6 महीने के लिए यह फैसला 3 जुलाई से प्रभावी होगा। इसके साथ ही राज्यसभा ने जम्मू और कश्मीर रिजर्वेशन (अमेंडमेंट) बिल 2019 को भी ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह दोनों प्रस्ताव पिछले शुक्रवार को ही लोकसभा से पारित हो चुके हैं।

इससे पहले कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव कराने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए थे, जिस पर अमित शाह ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने के आंकड़े सामने रखते हुए कहा कि सबसे ज्यादा बार आर्टिकल 356 का प्रयोग कांग्रेस की सरकारों ने किया है।

राज्यसभा में विपक्षी नेताओं के आरोपों पर जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। शाह ने कांग्रेस के नेताओं से सवाल पूछते हुए कहा, 'भारत के साथ महाराजा के संधि करने के बाद कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा बन गया था तो संयुक्त राष्ट्र जाने की जरूरत क्या थी?' उन्होंने आगे कहा कि क्या यह गलती नहीं थी? गृह मंत्री ने आगे कहा कि हम नेहरू के बारे में कोई गलत विचार खड़ा करना नहीं चाहते हैं और न जनता को गुमराह करना चाहते हैं लेकिन एक बात है कि इतिहास की भूलों से जो देश नहीं सीखते हैं उनका भविष्य अच्छा नहीं होता है। इतिहास की भूलों की चर्चा होनी चाहिए और इतिहास की भूलों से सीखना चाहिए।

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