जन्मदिन विशेष: ये हैं क्रिकेट इतिहास के सबसे ‘कंजूस’ गेंदबाज, फेंके थे लगातार 21 मेडन ओवर

 
नई दिल्ली 

बापू नादकर्णी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 'कंजूस गेंदबाज' के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे. उनके नाम लगातार 21 मेडन ओवर करने का अद्भुत कीर्तिमान है. आज उनका जन्मदिन है. उनका जन्म 4 अप्रैल 1933 को नासिक (महाराष्ट्र) में हुआ था. बापू नादकर्णी का इसी साल 17 जनवरी को 86 साल की उम्र में मुंबई में निधन हुआ.

बापू नादकर्णी बाएं हाथ के बल्लेबाज और बाएं हाथ के स्पिनर थे. इस ऑलराउंडर का प्रिय वाक्य था ‘छोड़ो मत’. वह दृढ़ क्रिकेटर थे, जिन्होंने तब खेला जब ग्लव्ज और थाई पैड अच्छे नहीं होते थे, गेंद लगने से बचाने के लिए सुरक्षा उपकरण नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद वह ‘छोड़ो मत’ पर विश्वास करते थे.

1964: …जब मद्रास टेस्ट में बापू ने अंग्रेजों को तरसाया था

बापू नादकर्णी ने अपनी लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजी की बदौलत 1964 में मद्रास के नेहरू स्टेडियम में अंग्रेजों को रन के लिए तरसाया था. यहां खेले गए टेस्ट मैच के दौरान उन्होंने एक के बाद एक 131 गेंदें फेंकीं, जिन पर एक भी रन नहीं बना. उस पारी में उन्होंने कुल 32 ओवरों में 27 मेडन फेंके, जिनमें लगातार 21 मेडन ओवर थे. और 5 रन ही दिए. उनका गेंदबाजी विश्लेषण रहा- 32-27-5-0

मद्रास टेस्ट: बापू नादकर्णी के चार स्पेल

पहला स्पेल: 3-3-0-0

दूसरा स्पेल: 7-5-2-0

तीसरा स्पेल: 19-18-1-0

चौथा स्पेल: 3-1-2-0
 
बापू नादकर्णी को किफायती गेंदबाजी करने के लिए जाना जाता था. पाकिस्तान के खिलाफ 1960-61 में कानपुर में उनका गेंदबाजी विश्लेषण 32-24-23-0 और दिल्ली में 34-24-24-1 था. उन्होंने 1955 में न्यूजीलैंड के खिलाफ दिल्ली में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच भी इसी प्रतिद्वंदी के खिलाफ 1968 में एमएके पटौदी की अगुवाई में ऑकलैंड में खेला था.

बापू की हैरान कर देने वाली खासियत

बापू नादकर्णी नेट्स पर सिक्का रखकर गेंदबाजी करते थे. उनकी बाएं हाथ की फिरकी इतनी सधी थी कि गेंद वहीं पर गिरती थी. टेस्ट करियर में बापू की 1.67 रन प्रति ओवर की इकोनॉमी रही. बापू ने 41 टेस्ट खेले, 9165 गेंदों में 2559 रन दिए और 88 विकेट झटके.

बैट्समैन और फील्डर भी गजब के

क्रिकेट के हर डिपार्टमेंट में माहिर बापू ने न सिर्फ अपने स्पिन से बल्लेबाजों का बांधा, बल्कि उनकी बल्लेबाजी भी गजब की थी. वे एक हिम्मती फील्डर भी थे, जो फील्ड पर बल्लेबाज के सामने खड़े होते थे. बापू ने इंग्लैंड के खिलाफ 1963-64 सीरीज में कानपुर में नाबाद 122 रनों की पारी खेलकर भारत को हार से बचाया था.

… जब बापू ने चोटिल संदीप पाटिल को फिर से तैय़ार किया

पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर कहते हैं, 'बापू कई दौरों में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर टीम के साथ रहे. खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने में वह हमेशा आगे रहते थे.' 1981 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के पहले ही टेस्ट (सिडनी) में संदीप पाटिल को ऑस्ट्रेलियाई पेसर लेन पास्को ने तूफानी बाउंसर मारी थी, जिससे वह पिच पर ही गिर गए थे. इसके बाद बापू ने पाटिल को मानसिक तौर पर इतना मजबूत कर दिया कि अगले टेस्ट (एडिलेड) में शतक (174 रन) जमाकर उस बाउंसर का बदला लिया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *