जनता को सस्ती रेत मिले इसलिए पंचायतों से छिनेंगे रेत खनन के अधिका

भोपाल
शिवराज सरकार के कार्यकाल में पंचायतों को दिए गए रेत खनन के अधिकार कांग्रेस सरकार फिर पंचायतों से वापस लेने जा रही है। रेत परिवहन करने वाले वाहनों की जांच के निर्देश फिर खनिज निरीक्षकों को दिए जा रहे है। समूह बनाकर रेत खनन एवं परिवहन के ठेके दिए जाने की तैयारी है।

मंत्रियों के समूहों की नई रेत खनन नीति पर चर्चा के दौरान मंत्रियों ने इस बात पर आपत्ति दर्ज कराई है कि खनिज विभाग के अधिकार क्षेत्र में रेत खदाने आती है लेकिन खनिज निरीक्षकों को छोड़ पुलिस और परिवहन विभाग तथा अन्य जांच एजेंसियां रेत परिवहन करने वाले ट्रकों की जांच कर रहे हे। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है और आम नागरिकों को महंगी रेत मिल रही है। मंत्री तुलसी सिलावट का कहना था कि रेत के अवैध खनन और परिवहन को रोकने में राजनीतिक दबाव और संरक्षण को पूरी तरह रोका जाए। वहीं वाणिज्य कर मंत्री बिजेन्द्र सिंह सिसोदिया का कहना था कि रेत की चोरी हो रही है इसे रोकने के इंतजाम किए जाए। 

वहीं पर्यटन मंत्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल का कहना था कि आम लोगों को सस्ती रेत कैसे मिले इसका इंतजाम नई नीति में किया जाए। वहीं वित्त मंत्री तरुण भनोत का कहना था कि रेत खनन को लेकर जो लूटमार मची है, गोलियां चल रही है, अराजकता फैल रही है उस पर नियंत्रण के इंतजाम किए जाए। रेत खनन से सरकार को राजस्व मिले, नदियों में मशीनों से खनन रोक कर नदियों और पर्यावरण सुरक्षित हो इसपर ध्यान देना जरुरी है। इसके लिए पर्यावरण समिति बनाई जाए और वह बताए कि कहां और किस तरह रेत खनन करना है।

जनता को सस्ती रेत मिले इसका भी ध्यान रखा जाए। इसके लिए राजस्थान,यूपी, तेलंगाना, तमिलनाडु, झारखंड,महाराष्ट की रेत नीतियों को भी देखा जा रहा है। महाराष्ट में राजस्व विभाग, तमिलनाडु में लोक निर्माण विभाग, छत्तीसगढ़ में खनिज निगम यह जिम्मेदारी संभालते है। राज्य सरकार नई नीति में यह कवायद करने जा रही है कि कोई भी रेत खनन से बाकी नहीं रहे। ताकि अवैध खनन को रोका जा सके।

नई नीति में सरकार यह प्रावधान करने जा रही है कि रेत खनन और परिवहन की व्यवस्था नीलामी कर ठेके पर दी जाए। इससे सरकार का राजस्व बढ़ सकेगा। प्रदेश में कुल 953 खदाने है सभी को ठेके पर दिया जाएगा। रेत खदानों के समूह तय कर उनकी नीलामी की जाएगी।

525 करोड़ से 69 करोड़ पर आ गई आमदनी- रेत खनन से वर्ष 17-18 में 525 करोड़ रुपए की आय हुई थी। पिछले साल पंचायतों को अधिकार दिए जाने के बाद बीस फीसदी पुराने ठेकों से ही केवल 69 करोड़ रुपए की आय विभाग को हुई है। पंचायतों के पास संसाधनों की कमी होंने के कारण वे इसमें ठीक से काम नहीं कर पा रही है। वहीं पंचायतों में दबंगों का दबदबा बना हुआ है।

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