निर्यात बढाकर हमेें स्वदेशी से आत्मनिर्भर होना होगा- डाॅ. आशीष गुप्ता

भोपाल
स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर में शोध प्रकल्प के तत्वाधान में आयोजित भारतीय अर्थव्यवस्था और कोविड 19 विषय पर आधारित वेबीनार सम्पन्न हुआ। सर्वप्रथम कार्यक्रम संयोजक शोध प्रकल्प प्रभारी डाॅ. सचिन तिवारी ने भूमिका रखी आपने कहा अर्थ राष्ट्र, समाज और व्यक्ति सभी को गतिमान, शक्तिमान रखता है वर्तमान परिदृश्य में इस आपदा ने अर्थव्यवस्था को भी धूल धूसरित कर दिया है। इस समय हमारे क्या दायित्व हो यह विचारणीय है। इसके उपरांत कुलाधिपति डाॅ. अजय तिवारी ने कहा कि आवश्यकता अविष्कार की जननी है समस्या आई है तो समाधान भी होगा। हमें ज्ञान की गहराईयों तक जाकर पुनः नए आयाम स्थापित करने होगें। संस्थापक कुलपति डाॅ. अनिल तिवारी ने कहा मनुष्य के आर्थिक जीवन का क्रमागत विकास हुआ उद्योग धंन्धों का प्रादुर्भाव हुआ जो मनुष्य की जीविका का साधन बना, परंतु कोविड से सभी उद्योग और प्रोद्योगिकी की विकास दर धवस्त हो गयी।

आवश्यकता है हम विचार करें कि यह व्यवस्था पुनः कैसे सुधार में लाई जाए। उसके बाद कुलपति डाॅ. राजेश दुबे ने वेबीनार की आवश्यकता पर कहा वर्क फार्म होम के लिए साथ ही शैक्षिक संवर्धन के लिये यह वेबीनार किया जा रहा है जिससे देश की वर्तमान परिदृश्य को सभी रूप प्रदान किया जा सके। मुख्य वक्ता आईआईएफटी नई दिल्ली के प्राध्यापक डाॅ. आशीष गुप्ता ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए कहा कि हमें विचार करना है कि हमारी आगामी व्यापारिक भूमिका क्या होगी इस प्राकृतिक आपदा ने मानव सभ्यता को दुविधात्मक बना दिया है वर्तमान जीवन शैली ही परिवर्तित हो गई है।

 आर्थिक व्यवस्था अव्यवस्थित हो गयी है। सावधानी रखते हुए प्रत्येक सुविधा को प्रकृति के अनुसार उपभोग और उपयोग करना होगा दूर संचार तथा नवीनतम तकनीकि ही जीवन शैली तथा शैक्षिक गतिविधि का माध्यम बन गई है वर्कफोर्महोम से सभी कार्य करने को सीखना होगा। यह एक चुनौती पूर्ण समय है इसमें दैनिक क्रियाकलाप ही नहीं प्रौद्योगिकी भी प्रभावित हो गयी है। आयात कम और निर्याता बढाना होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था का तुलना करके नवीनतम तकनीकी अपनाएं और छोटे परिमाण पर किए जाने वाले कुटीर उद्योग तथा उनका प्रचलन अनिवार्य करना होगा। साथ ही स्वदेशी वस्तुओं की गुणवत्ता भी बढानी होगी। प्रायोजित तथा गैर प्रायोजित अनुसंधान एवं सरकार द्वारा प्रदत्त साधन उद्योग जगत में सेवा देने वाले संस्थान से शैक्षिक ज्ञान एवं उन्नत सिद्ध क्षमता का विकास आवश्यक है। हमारा देश कृषि प्रधानदेश है। कृषि का भार कम करने की दृष्टि से किसानों को रिक्त समय में एवं आय वृद्धि करने के लिए घरेलू उद्योग धन्धें को प्रोत्साहन के साथ अनिवार्य करना होगा घरेलू उद्योग धन्धों मेें कार्य की स्वतंत्रता तथा किसी का नियंत्रण नहीं रहता, स्वतंत्र कार्य से लोागों में आत्म निर्भरता भी बढेगी। कम लागत में व्यक्ति स्व निर्भर और संतुष्ट होगा।

नए स्किल के द्वारा विशिष्ट प्रशिक्षण से ज्ञानार्जन किया जाए। गणनीय संज्ञा से विशेषज्ञता, योग्यता तथा अनुभव क्षेत्र व्यापक हो। शोघार्थी छात्रों के नए आयाम उद्योग के क्षेत्र में मार्केटिंग प्रबंधन, व्यापारिक अनुबन्ध दिशा और दशा का निर्देश, ग्राहक संतुष्टि, ग्राहक की आवश्यकता एवं व्यापारिक आदान प्रदान की क्षमता के विषयों मेें प्रोत्साहित तथा प्रशिक्षित करा कर ही हम स्वदेशी उत्पाद से भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनः व्यवस्थित करने मेें समर्थ होंगें। संगोष्ठी का आभार डाॅ.शैलेन्द्र पाटिल ने माना। इस वेबीनार के अवसर पर सभी अधिष्ठातागण एवं विभागाध्यक्ष सहभागी रहे उनके साथ ही श्री मुकेश शर्मा, सुश्री अरूणा बटूर, डाॅ. भोलानाथ, श्री आशीष खरे श्री चिराग श्रीवास्तव श्री अवनीश भटनागर भी उपस्थित रहे।

शमिल अतिथियों में डाॅ बाबूराव रघुवंशी कर्नाटक, डाॅ. वेनू प्रसाद सित्तूला नेपाल, प्रो. हेमनेट मंडेले बालाघाट, डाॅ. बलवंत सिंह मुम्बई, प्रो. एच घोरमारे बालाघाट, डाॅ. राजू मंगलमणी कर्नाटक, डाॅ. कीर्ति कुलकर्णी कर्नाटक, प्रो. एसएस निगम ग्वालियर, सुनीता मंगलसिंह जाधव मुम्बई, डाॅ. अनामिका निमकार, डाॅ. संगीता हुबली, माधवी निगोस्कर मुम्बई उपस्थित रहे।  

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *