छत्तीसगढ़ में विवाद नहीं आपसी भाईचारा और विकास की पहचान है ‘राफेल’

रायपुर
लड़ाकू विमान राफेल को लेकर देश में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. देश की सबसे बड़ी दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के बीच रोजाना राफेल पर बयानबाजी और डिबेट हो रहे हैं. भाजपा राफेल को केन्द्र की मोदी सरकार की उपलब्धि बता रही है तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इसे मोदी सरकार में देश का बड़ा घोटाला बताने से पीछे नहीं हट रहे हैं. लोकसभा के चुनावी समर में राफेल पर देश में सियासी घमासान छिड़ा है. राफेल के घमासान के बीच एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है, जिसमें नेशनल हाईवे के किनारे राफेल का बोर्ड लगा हुआ है.

हाईवे की चमचमाती सड़क है तो दूसरी तरफ बोर्ड के साइड में तिरगें की कलर से रंगा हुआ मिनी बस स्टॉप नजर आ रहा है. इस राफेल की तस्वीर का कनेक्शन लड़ाकू विमान से कर सोशल मीडिया में तस्वीर को खूब वायरल किया जा रहा है. यह तस्वीर छत्तीसगढ़ और ओडिशा को जोड़ने वाली नेशनल हाइवे-53 की है और जो बोर्ड लगा है, वह महासमुंद जिले के सरायपाली के अंतिम छोर में आता है.

महासमुंद मुख्यालय से 140 किलोमीटर की दूरी तय कर सराय़पाली के ओडिशा सीमा से लगे इस गांव की आबादी करीब 1500 है. नेशनल हाईवे से 2 किलोमीटर की दूरी पर राफेल गांव बसा है. गांव के बाहर दो पुराने पिल्हर नुमा गेट थे, जिस पर ग्राम पंचायत राफेल का नाम लोहे से लिखा गया है. गांव के युवा संजय यादव का कहना है कि आज राफेल को लड़ाकू विमान की पहचान के आधार पर पूरा देश जान रहा है, लेकिन महासमुंद जिले के सरायपाली का एक छोटा सा गांव राफेल, जिसकी जनसंख्या 13 से 15 सौ के बीच होगी, जहां के लोग मूलत: किसानी और मजदूरी पर आधारित हैं.

आखिर गांव का नाम राफेल क्यो पड़ा? और इसके पीछे आखिर इतिहास क्या है? ये जानना जरूरी है. गांव के सरपंच धनिराम पटेल हैं. धनिराम पटेल गांव में पीछले 2 कार्यकालों से यानी दस सालों से सरपंची कर रहे है. सरपंच और गांव वालों के अनुसार गांव सदियों पुराना है और शुरुआत से ही गांव का नाम राफेल है, जो कभी बदला नहीं गया. राफेल शब्द के पीछे कोई इतिहास नहीं बल्कि ये सुना गया है कि राफेल के पीछे रापना शब्द जुड़ा हुआ है, जिसका छत्तीसगढ़ में सकेलना और हिन्दी में एकत्र करना अर्थ होता है. जिसके अनुसार गांव वाले पहले गांव से बाहर काम करने निकलते थे औऱ फिर बाहर से रुपये रापकर यानि एकत्र कर वापस लौटकर अपने गांव का परिवार का विकास करते थे. राफेल गांव की पहचान आपसी भाईचारे और एकता के रूप में है. साथ ही गांव में आंगनबाड़ी, स्कूल, पक्की सड़क सहित लगभग सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं. राफेल को आसपास के गांवों में विकास का प्रतिक भी माना जाता है.

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