छत्तीसगढ़ के इस इलाके में बच्चे खुलेआम पढ़ रहे हैं लाल आतंक का पाठ!
दंतेवाड़ा
दंतेवाड़ा जिले के अंदरूनी स्कूलों के बच्चे इन दिनों क्लास में किताब से पहले नक्सली संदेश पढ़ रहे है. बच्चे खुलेआम और कई बार सामूहिक रूप से ऊंची आवाज में पढ़ते है. इसकी गूंज शिक्षक भी रोज सुन रहे हैं लेकिन कोई मना नहीं कर रहा और न ही उन नक्सली संदेशों को मिटाया जा रहा है. बता दें कि दंतेवाड़ा जिले के दो दर्जन से अधिक स्कूलों की दीवार नक्सली संदेशों से रंग दी गई है. यहां नक्सल नारों के साथ राष्ट्रविरोधी बातें लिखी गई है. बताया जा रहा है कि इन नारों को लिखे 6 महीने से अधिक समय गुजर चुका है. विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने चुनाव और जनप्रतिनिधियों का विरोध करते सरकारी स्कूलों की दीवार ही नहीं बल्कि खिड़की, दरवाजे, फर्श और ब्लैक बोर्ड तक में लाल रंग से नारा लिख दिया था, जो आज भी उसी तरह मौजूद है.
छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों में बच्चों को तिलक लगाकर दाखिला कराया जा रहा है. स्कूल पहुंचने पर बच्चों को राष्ट्रगान और प्रार्थना कराई जाती है. बच्चों में पढ़ाई और स्कूल के प्रति आकर्षण और उत्साह बना रहे, इसके लिए खेल-खिलौना के साथ राष्ट्रगान और प्रार्थना कराई जाती है. पर दंतेवाड़ा के अंदरूनी स्कूलों में राष्ट्रगान हो या न हो, पर बच्चे स्कूल पहुंचते और घर लौटते वक्त नक्सली संदेश का वाचन जरूर करते है.
चुनाव के दौरान नक्सलियों ने स्कूल की दीवारों पर नारे लिखे थे, जिसे अभी तक हटाया नहीं गया है.
दंतेवाड़ा के नीलावाया, बुरगुम, पोटाली, किकिरपाल, कुटरेम, हिरोली, मारजूम, परचेली, चिकपाल, कौरगांव, चेरपाल, मंगनार, कौशलनार, कामालूर, कुपेर, बासनपुर, झिरका जैसे गांव में बने स्कूल की दीवारों पर नक्सली संदेश मौजूद है. बच्चे प्रतिदिन इसका वाचन करते स्कूल में प्रवेश करते हैं. इसी तरह छुट्टी होने पर भी ऊंची आवाज में नक्सली संदेशों को दोहरते घर लौटते है.
इस पूरे मामले में शिक्षा अधिकारी राजेश कर्मा का कहना है कि स्कूलों की दीवारों पर नक्सली संदेश मेरे पदभार लेने से पहले के है. पदभार लेने के बाद मैंने ऐसे सभी संदेशों को मिटवाने सभी बीईओ और प्रधान पाठकों को निर्देशित किया है. साथ ही नक्सली संदेश दीवारों से हटाने के बाद साफ दीवार के फोटाग्राफ्स भी मंगवाए है.