चुनाव में EVM पास, बस 0.0004% का अंतर

नई दिल्ली
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम को लेकर खूब हल्ला किया था। इन चुनावों में सामने आए आठ मामलों में वीवीपैट और ईवीएम की गिनती में सबसे बड़ा अंतर मेघालय के शिलॉन्ग संसदीय क्षेत्र में हुआ। यहां एक मतदान केंद्र पर सबसे ज्यादा 34 वीवीपैट पर्चियों और ईवीएम से मिलान में अंतर निकला। किसी भी बूथ पर 34 की संख्या सबसे ज्यादा है।
आंध्रप्रदेश के राजमपेट मतदान केंद्र पर ईवीएम और वीवीपीएटी में 7 का मिलान नहीं हुआ है। शिमला में एक मतदान केंद्र पर एक वोट में ईवीएम और वीवीपीएटी का मिलान अलग पाया गया। राजस्थान में चित्तौड़गढ़ और पाली निर्वाचन क्षेत्रों में एक-एक मतदान केंद्र पर एक वोट में ईवीएम-वीवीपीएटी की गिनती में अंतर है।

मणिपुर में ईवीएम और वीवीपीएटी में आंतर के दो मामले सामने आए। यहां एक मतदान केंद्र पर एक और दूसरे मतदान केंद्र पर दो वोटों में अंतर पाया गया।

निर्वाचन आयोग के अधिकारी इन सभी मामलों की जांच करेंगे कि आखिर ईवीएम और वीवीपीएटी में इतना अतंर क्यों आया। हालांकि ये अधिकारी इन ईवीएम और वीवीपीएटी तक नहीं पहुंचे हैं। राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हाईकोर्ट में दायर चुनाव याचिकाओं के लिए सूचना इकट्ठा कर रहे हैं।

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया, 'जहां तक हमारी जानकारी है, अभी तक चुनाव के नतीजों को चुनौती देने संबंधी कोई याचिका दायर नहीं हुई है, ईवीएम और वीवीपीएटी मिलान न होने के 8 मामले सामने आए हैं। ऐसे में हम जल्द ही ईवीएम और वीवीपीएटी का मिलान न होने की जांच करेंगे।'

चुनाव आयोग के शुरुआती आकलन के अनुसार कुल 20,687 ईवीएम और वीवीपीएटी पर्चियों की जांच की गई, इसमें करीब 0.0004% ईवीएम और वीवीपीएटी में अंतर सामने आया है। चुनाव आयोग का कहना है कि यह किसी मानवीय गलती की वजह से भी हो सकता है।

एक अधिकारी ने बताया कि शिलॉन्ग में, जहां वीवीपैट पर्चियां ईवीएम की गिनती से 34 कम थीं, और यहां तक कि राजमपेट में भी जहां सात वोटों में अंतर पाया गया था, हो सकता है कि पीठासीन अधिकारी की ओर से नकली चुनाव डेटा को नष्ट ने करने कारण ऐसा हुआ हो।

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