चुनावों के कारण बनी पेडेंसी को ओवरटाइम कर एसडीएम और तहसीलदार निपटा रहे फाइलें

भोपाल
राजधानी में राजस्व का काम देखने वाले अफसर एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार सहित अन्य राजस्व अधिकारी ओवर टाइम करके अपनी पेडेंसी निपटा रहे हैं। आॅफिस टाइम के अलावा दो से तीन घंटे रोजाना अफसर ओवर टाइम कर रहे हैं।

विधानसभा चुनावों के कारण सैकड़ों केस राजस्व कोर्ट में लंबित हो गए थे। इन्हें तेजी से निपटया जा रहा है। वहीं 16 फरवरी को राजस्व लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इस कारण से भी राजस्व अधिकारी अपने पेडिंग प्रकरणों को चिन्हांकित करके इन्हें निपटाने के लिए पूरी जोर आजमाइश कर रहे हैं, ताकि उनकी सीआर भी बेहतर रहे। भोपाल के सभी तहसील और वृत्तों में पिछले कुछ दिनों से बाबू पुरानी फाइलों की लिस्टिंग कर रहे हैं। जो फाइलें बिना काम के अटकी हैं, उन्हें समय देकर तुरंत निपटाया जा रहा है। बाकी पुराने और विवादित मामलों की फाइलों की भी सूची बनाई जा रही है। 

विधानसभा चुनाव के कारण अधिकारी-कर्मचारी सभी चुनाव कार्य में व्यस्त थे। इसके लगातार केसों में तारीख बढ़ती गई और उनका निराकरण नहीं हो रहा है। इनमें ज्यादातर केस नामांतरण, बंटांकन, सीमांकन के हैं, जो कायदे से एक से दो माह में निराकृत होने चाहिए। अब अफसरों की मंशा है कि फरवरी अंत तक ये पेडिंग केस निपट जाएं। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो फिर तीन माह तक इन केसों का निराकरण होना मुश्किल है। मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग सकती है। फिर मई अंत तक कोई काम नहीं होगा। कलेक्टर सुदाम खाडे ने भी सभी अफसरों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे अपनी पेडेंसी जल्द से जल्द खत्म करें।

राजस्व काम को लेकर सभी जिलों के कलेक्टोरेट में हालत कितनी खराब है, इसे देखने के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव बीपी सिंह ने करीब एक साल तक सतत अभियान चलाया था। हर संभाग में जाकर राजस्व कोर्ट का निरीक्षण किया था, तब इसमें तेजी आई थी और राजस्व काम निपटे थे। लेकिन एक बार फिर राजस्व काम अधिकारियों की प्राथमिकता से दूर हो गए हैं। 

राजस्व काम में ही डायवर्शन टैक्स की वसूली भी होती है। प्रशासन की मंशा अब कोर्ट में चल रहे प्रकरणों को निपटाने की बजाय डायवर्शन टैक्स वसूली के लिए अधिक दिख रही है और कई अधिकारियों ने इसका हिसाब-किताब लगाना शुरू कर दिया है कि कहां पर कितनी सख्ती करके टैक्स वसूलना है। 

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