चलते-चलते भी कर सकते हैं सेहत की निगरानी, जानिए क्या कहता है चलने का विज्ञान

चलना और दौड़ना, दुनियाभर में प्रभावी और प्रसिद्ध व्यायाम हैं। लंबे समय तक फिट रहने के लिए कौन सा तरीका बेहतर है, इस बारे में भले ही विशेषज्ञों की राय अलग हो, पर इनके फायदे और जरूरत पर सभी एकमत दिखाई देते हैं। जो दौड़ना पसंद करते हैं, उनके अनुसार चलने से कैलरी की पर्याप्त खपत नहीं होती। वजन कम करने के इच्छुकों के लिए दौड़ना बेहतर रहता है। चलना पसंद करने वाले मानते हैं कि इससे जोड़ों और हड्डियों पर दबाव नहीं पड़ता और उनके चोटिल होने की आशंका नहीं रहती। हर उम्र के लोगों के लिए चलना आरामदायक है। हालांकि चलने की गति क्या हो, यह हर व्यक्ति के स्वास्थ्य और उम्र के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।  

चलना और दौड़ना
व्यायाम के तौर पर चलना  सामान्य या तेज गति दोनों तरह से हो सकता है। तेज चलने को ब्रिस्क वॉक कहते हैं। चलने से हाथ, घुटनों, एड़ियों और जांघों पर ज्यादा असर पड़ता है। जॉगिंग का असर पूरे शरीर पर होता है। जॉगिंग के लिए रिदम बनानी होती है, क्योंकि इसमें मूवमेंट तेज होते हैं। शुरुआत चलने और तेज गति से चलने से करनी चाहिए। धीरे-धीरे शरीर में मजबूती आने पर दौड़ना बेहतर रहता है।

जॉगिंग करते हुए दबाव पैरों के पंजों की तरफ रखने की सलाह दी जाती है। वजन कम करने के इच्छुकों के लिए चलने से बेहतर जॉगिंग को माना जाता है। इससे धड़कन तेज होती है और दिल को ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है। गठिया, सांस, दिल के मरीजों के अलावा बहुत मोटे और कमर व जोड़ों के दर्द से पीड़ित रहने वालों को जॉगिंग से बचने की सलाह दी जाती है।

अगर शरीर की स्थितियां अनुकूल हैं और आप नियमित 20 मिनट तेज गति से चलते हैं तो ‘वॉक—जॉग’ का अड्टयास करना चाहिए। इसमें एक मिनट चलने और एक मिनट जॉगिंग करने को शामिल किया जाता है।

चलने का सही तरीका
समय: नियमित व्यायाम न करने वालों को सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनट चलना चाहिए। एक साथ इतना समय नहीं निकाल सकते तो इसे तीन भागों में बांटें। सुबह दस मिनट ब्रिस्क वॉक यानी तेज गति से चलें।  दोपहर भोजन के बाद 10 मिनट सामान्य गति से और फिर शाम को 10 मिनट तेज गति से चलें। शुरुआत में सातों दिन चलने की जगह एक या दो दिन शरीर को आराम दें। पसीना आने तक चलना जरूरी नहीं है। अच्छे मौसम में कई बार पसीना नहीं आता। पसीना कम-अधिक आने को अपने चलने का पैमाना न बनाएं।

गति:  वॉक से अधिकतम लाभ पाने के लिए आपकी गति कितनी होनी चाहिए? इसके लिए हृदय गति सामान्य से डेढ़ गुना होने तक चलना उचित रहता है। अगर तेज चलने से सांस फूलने लगे तो अपनी गति धीमी कर लें। सामान्य अनुभव करने पर दोबारा गति बढ़ा दें।  

खाली पेट: सुबह के समय खाली पेट चलना सबसे बेहतर है। चाय के शौकीन लोग चाय ले सकते हैं, उनके लिए यह स्टिमुलेटर का काम करती है। आधा गिलास जूस भी ले सकते हैं, पर वजन कम करना चाहते हैं तो कुछ भी खाने से परहेज करें। वॉक से पहले या उस दौरान थोड़ा पानी पी सकते हैं। गुनगुना पानी पीना बेहतर है। जिन्हें ज्यादा पसीना आता है, उन्हें साथ में पानी की बोतल लेकर जाना चाहिए। इससे डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होती।

अगर फल या कुछ हल्का खाया है तो चलने से पहले आधे घंटे का अंतराल रखें। दोपहर व रात के भोजन के बाद टहल सकते हैं, पर ब्रिस्क वॉक न करें। दरअसल खाना खाते हुए  रक्त की पूर्ति पेट की ओर अधिक होती है, खाने के फौरन बाद ब्रिस्क वॉक करने से पेट दर्द हो सकता है। साथ ही इससे रक्त संचार पेट की बजाय पैरों की ओर होने लगता है। पेट को पर्याप्त रक्त न मिलने से खाने के पाचन में समस्या आ सकती है। चलने से लौट कर ड्टाी तुरंत कुछ न खाएं। 15—20 मिनट शरीर को सामान्य व सहज होने के लिए दें।

चलें और स्वस्थ रहें
आप दिन में किसी ड्टाी समय चल रहे हों, यदि सही ढंग से चलते हैं तो ध्यान कर रहे होते हैं। चलना आपको अपने शरीर व आत्मा से जोड़ता है। आप अपने पैर, सांस, हृदय और शरीर की ताल से जुड़ पाते हैं। खुद को बेहतर समझते हैं। चलते समय ध्यान करने का सही तरीका…
– पहला कदम बढ़ाते हुए एकाग्रता ड्टाीतर की ओर हो।
– जो भी जिज्ञासा है, प्रार्थना है उसे दोहराते हुए ब्रह्मांड में  प्रेषित करें। खुद को जवाब पाने के लिए प्रस्तुत करें।
– मस्तिष्क को शांत रखने के लिए किसी मंत्र के जाप को सहारा बनाएं। पहले चंद कदम बढ़ाते समय ध्यान सांस लेने व छोड़ने पर रखें।
– सांसों व रिदम पर फोकस रखना धीरे-धीरे मार्गदर्शन की ओर ले जाएगा।
– कम से कम 30 मिनट इसी तरह चलते रहना आपको ऊर्जा देगा और आप इच्छाओं की एकाग्रता की शक्ति को महसूस करेंगे।

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