घूसखोरी रोकने को खाद्य अफसरों के कपड़ों में लगेंगे कैमरे

नई दिल्ली 
फूड सेफ्टी स्टैंर्डड ऑथरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसआई) ने अपने अधिकारियों को बॉडी कैमरा से लैस करने का फैसला किया है। इससे भ्रष्टाचार पर रोक लग सकेगी वहीं उनके साथ होने वाली मारपीट की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी। एफएसएसआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने  कहा कि हम अधिकारियों के जैकेट में पोर्टेबल मिनी कैमरा लगाने पर काम कर रहे हैं।

इससे जहां भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी वहीं सैंपल जुटाने के दौरान अधिकारियों के साथ होने वाली हाथापाई की घटनाओं पर भी नजर रखी जा सकेगी। कैमरे के साथ होने वाली जांच में पारदर्शिता आएगी। फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर अक्सर ऐसी शिकायतें करते हैं कि जांच के दौरान दुकानदार उनके साथ मारपीट करते हैं। वहीं दुकानदार इंस्पेक्टरों पर कई बार रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हैं। 

अग्रवाल के मुताबिक अभी भी दो से तीन फीसदी मामलों में फूड इंस्पेक्टरों के साथ मारपीट की खबरें आती हैं। खास तौर पर त्योहारों के दौरान जब छापों की संख्या बढ़ जाती है तो मारपीट के मामले भी बढ़ते हैं। दिल्ली के एक फूड इंस्पेक्टर बताते हैं कि छापा मारने पर भीड़ में हमारे साथ मारपीट की जाती है, पर उनकी शिकायत करने पर दुकानदार हमारे ऊपर ही उल्टे रिश्वत मांगने का आरोप मढ़ देते हैं। कई बार खाद्य उत्पादों के नमूने जुटाना हमारे लिए काफी खतरनाक हो जाता है। इसलिए जैकेट में लगा मिनी कैमरा हमारे लिए सुरक्षात्मक उपाय हो सकता है। हम अपनी सही स्थिति भी साबित कर पाएंगे।

दफ्तर से ऑनलाइन ट्रैकिंग भी  

पिछले माह विश्व खाद्य दिवस पर एफएसएसआई ने अपने फूड इंस्पेक्टरों के लिए ईट राइट जैकेट लांच किए हैं। इन स्पेशल जैकेट में  टैबलेट, स्मार्ट फोन रखने की जगह है। ये जैकेट क्यूआर कोड और रेडियो फ्रिक्वेंसी पहचान से भी लैस हैं। इससे हर अफसर को दफ्तर से ट्रैक किया जा सकता है। 
हर महीने 20 तक नमूने लेने पड़ते हैं 

दिल्ली में पदस्थापित 22 फूड इंस्पेक्टर 12 से 15 घंटे काम करते हैं। एक इंस्पेक्टर महीने में 15 से 20 खाद्य पदार्थों के नमूने जुटाते हैं। गुजरात में हर इंस्पेक्टर को महीने में नौ नमूने लेने पड़ते हैं।  

हर महीने 20 तक नमूने लेने पड़ते हैं 

गुजरात के एफएसएसआई के फूड इंस्पेक्टर बताते हैं कि उनको विनिर्माण इकाई, रेस्टोरेंट, सड़क के किनारे ढाबों आदि से नमूने लेने के दौरान कई बार 24 घंटे चुनौतीपूर्ण हालात में काम करना पड़ता है।   

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *