घातक कोरोना वायरस को हराने 4 वैक्सीन, जिनसे दुनिया को सबसे ज्यादा उम्मीदें
नई दिल्ली
दुनिया भर में यूं तो कोरोना की 125 से ज्यादा वैक्सीन बन रही हैं। इनमें से अधिकतर इंटरनैशनल वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोग्राम्स में भारत की मौजूदगी है। यानी वैक्सीन बनाने में ग्लोबल लेवल पर भारत की अहमियत साफ है। भारत में भी तीन-चार वैक्सीन कैंडिडेट्स क्लिनिकल ट्रायल से गुजर रही हैं। अगर इनमें से कोई सफल नहीं भी होती तो भी भारत को वैक्सीन मिले, इसकी कोशिशें तेज कर दी गई हैं। प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर डॉ के. विजयराघवन ने कहा कि भारत में बल्क वैक्सीन मैनुफैक्चरिंग का साइज और क्षमता बेहद ज्यादा है। उन्होंने दावा किया कि वैक्सीन कोई भी बनाए, भारत इग्नोर नहीं किया जाएगा।
इस वैक्सीन को दवा बनानेवाली कंपनी एस्ट्राजिनका और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी मिलकर बना रहे हैं। इसका ह्यूमन ट्रायल साउथ अफ्रीका और ब्राजील में इसी महीने शुरू हो चुका है। क्लिनिकल ट्रायल की स्टेज में यह सबसे आगे तीसरे फेस पर है। इसके ह्यूमन ट्रायल के नतीजे जुलाई अंत तक आ सकते हैं। इसमें 2000 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया है।
अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना की इस वैक्सीन पर भी सबकी नजक है। कंपनी को दवा पर इतना भरोसा है कि उसने दवा को शीशियों में भरने और पैकिंग करनेवाली एक कंपनी से बात भी शुरू कर दी है। शुरुआत में कंपनी 100 मिलियन खुराक तैयार करने की प्लानिंग कर रही है, जो 2020 के अंत तक यूएस मार्केट में होगी। अभी इसका तीसरे फेज का ट्रायल बाकी है, जिसमें 30 हजार लोग शामिल होंगे।
इसे पेइचिंग इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नलॉजी और बायोटेक फर्म कनसीनो ने मिलकर तैयार किया है। फिलहाल यह ह्यूमन ट्रायल के फेज 2 में है। फिलहाल चीन और कनाडा में इसका ट्रायल चल रहा है। अबतक पाया गया है कि जिन 125 लोगों को डोज दी गई उनमें कोरोना से लड़ने की ऐंटीबॉडी बन गई। फिलहाल आगे ट्रायल चल रहा है जिसके नतीजे एक महीने के अंदर आ सकते हैं।
वुहान इंस्टिट्यूट की दवा
कोरोना जहां से फैला यानी वुहान वहां की यूनिवर्सिटी का दावा है कि वह सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बना सकता है। सिनोफॉर्म और सिनोवैक नाम की जो कंपनी दवा बना रही हैं उन्होंने 400 मरीजों पर इसका ट्रायल किया है। इसके नतीजे अगले महीने तक आएंगे। इसने चीन के बाहर के लोगों पर भी वैक्सीन टेस्ट की है।