घटाए जाएं GST के स्लैब, एक देश-एक पंजीकरण की व्यवस्था होः उद्योग जगत

 
नई दिल्ली

 उद्योग जगत ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की दूसरी वर्षगांठ पर सरकार को बधाई देते हुए इसे सरल बनाने की दिशा में जीएसटी परिषद् के काम की सराहना की है तथा कहा है कि अब ‘जीएसटी 2.0' की ओर बढ़ते हुए इसमें स्लैबों की संख्या कम की जाए, पेट्रोलियम, रियल इस्टेट और बिजली को शामिल किया जाए तथा ‘एक देश, एक पंजीकरण' की व्यवस्था हो। 

देश में नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जीएसटी 01 जुलाई 2017 को लागू की गई थी। इसमें कर के चार स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत तय किए गए हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा ‘‘हम जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू करने तथा महज दो साल में इसे स्थिरता प्रदान करने के लिए जीएसटी परिषद् और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोडर् की प्रशंसा करते हैं। जीएसटी परिषद् उद्योग जगत के समक्ष आने वाले हर मुद्दे को स्वयं पहल कर हल कर रही है। जीएसटी 2.0 भारतीय अर्थव्यवस्था को विकास के अगले स्तर पर ले जाएगा।'' 

उद्योग संगठन फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने भी परिषद के काम की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘जीएसटी परिषद एवं कर प्रशासकों ने पिछले दो साल में इसे लगातार सरल बनाने, करों की दरों को तकर्संगत करने और कर आधार बढ़ाने के लिए जिस तरह से काम किया है वह प्रशंसनीय है। अब हमें जीएसटी ढाँचे के निहित उद्देश्य की ओर बढ़ने की जरूरत है जिससे सही मायने में देश में कारोबार करना आसान हो सके।'' दोनों संगठनों ने कर के स्लैबों की संख्या घटाने की मांग की है। फिक्की ने इसे चार से घटाकर तीन करने की मांग की है। सीआईआई ने भी स्लैबों की संख्या चार से घटाकर दो-तीन करने की मांग की है और कहा है कि 28 प्रतिशत का स्लैब सिर्फ स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह वस्तुओं के लिए रखा जाना चाहिए।  

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