गुरुग्राम हत्याकांड में हुआ ये नया खुलासा, पत्नी और बच्चों की हत्या के बाद वैज्ञानिक ने की थी खुदकुशी

वाराणसी 
हरियाणा के गुरुग्राम में पत्नी व बेटा-बेटी की हत्या के बाद खुदकुशी करने वाले डॉ. प्रकाश सिंह मामले में एक नया खुलासा सामने आया है। डॉ. प्रकाश सोमवार को वाराणसी आने वाले थे। उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर से सटे छित्तूपुर, लंका में ससुराल की जमीन का उन्होंने करीब एक करोड़ रुपये में सौदा तय किया था। उसी जमीन की रजिस्ट्री करने आना था, लेकिन उनकी यात्रा अचानक स्थगित हो गयी थी। 

चितईपुर में कपड़े की दुकान करने वाले डॉ. प्रकाश के सबसे छोटे जीजा रंजीत सिंह को सोमवार की सुबह नौ बजे जानकारी मिली तो वह पत्नी के साथ गुरुग्राम रवाना हो गए। वहां डॉ. प्रकाश की साली सीमा, नोएडा में रह रहे बड़े जीजा, रंजीत व दो पड़ोसियों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराकर शव सौंप दिया। शवों का गुरुग्राम में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। 

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रंजीत सिंह बताते हैं कि 1991 में डॉ. प्रकाश की बहन से उनकी शादी बाबतपुर के पास रघुनाथपुर गांव में हुई थी। तब तक पूरा परिवार गांव में ही रहता था। चार बहनों में वह अकेले थे। पिता राम प्रसाद सिंह उर्फ रामू पटेल किसान थे। पिता ने सभी बेटियों की शादी आसपास के गांव व शहर में की थी। पांच भाई-बहनों में प्रकाश तीसरे नंबर पर थे। उनकी पढ़ाई ज्यादा बनारस शहर में ही हुई थी। बीएचयू में पीएचडी के बाद बेंगलुरु में नौकरी लगी तो वह काफी कम ही गांव जा पाए थे। 

रंजीत सिंह ने के अनुसार चार दिन पहले उन्होंने फोन कर ससुराल की जमीन को बेचने की बात बतायी थी। ससुराल में पत्नी सोनू सिंह के अलावा कोई नहीं था। उनके ससुर ने सोनू व प्रकाश के साझा नाम से जमीन की वरासत की थी। फोन पर प्रकाश ने बताया था कि वह सोमवार को वाराणसी पहुंचेंगे। इस दौरान वह उनसे मिलने गंगापुर स्थित गांव या चितईपुर में दुकान पर आएंगे। किसी को क्या पता था कि उनकी जगह उनकी मौत की सूचना आएगी। यह भी बताया कि घटना वाली रात में 11 बजे उनकी साली सीमा से बात भी हुई थी। गुरुग्राम में आवास पर पहुंची सीमा ने बताया कि बातचीत से वह किसी प्रकार की शिकायत या दबाव में नहीं लग रहे थे।

 जीजा ने बताया कि बेंगलुरु में नौकरी लगने के बाद वह गांव कम जाते थे। पिता बीमार रहते थे। परिवार के अन्य सदस्य उनका इलाज कराते थे। कभी-कभी वह खुद आते थे। 2001 में पिता की मौत के बाद वह मां को अपने साथ ले गए थे। उनकी मां का भी निधन हो गया है। पति-पत्नी दोनों बच्चों के साथ गुरुग्राम में बस गए थे।

काफी सरल स्वभाव के थे प्रकाश 
रंजीत सिंह ने बताया कि पांच भाई-बहनों में सबसे सरल स्वभाव के प्रकाश थे। जब भी बनारस आते थे। वह सबसे मिलते-जुलते थे। इसके कारण वह अपने रिश्तेदारों में प्रिय थे।

गांव में परिवार में लोगों से जमीन को लेकर था विवाद 
प्रकाश सिंह के पिता सामान्य किसान थे। घर पर रहकर के किसानी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। इनके परिवार में ही कुछ लोग पिता की सम्पत्ति पर कब्जा करना चाहते थे। इसको लेकर कई बार विवाद भी हुआ था। कुछ हिस्सा परिवार वालों ने ले भी लिया था। पिता की मौत के बाद प्रकाश ने गांव में जमीन बेचकर गुरुग्राम में बस गए थे। कुछ बची जमीन साले के नाम कर दी। 1996 में सोनू सिंह के साथ उन्होंने पढ़ाई के दौरान शादी की थी। पत्नी सोनू सिंह चार विद्यालय चलाती थीं। पलवल व गुरुग्राम एक-एक और दो विद्यालय नोएडा में हैं। 

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