गुजरात सरकार ने की टीचर के दावे की पुष्टि, 30 साल बाद मिले बाघ की मौजूदगी के सबूत

अहमदाबाद
गुजरात सरकार ने राज्य में बाघ की मौजूदगी के दावे की पुष्टि की है। एक शख्स ने दावा किया था कि उसने महिसागर जिले में एक बाघ को सड़क पार करते देखा था जिसके बाद वन विभाग ने इलाके में खुफिया कैमरे लगाए थे। मंगलवार को यह बाघ इन खुफिया कैमरों में भी कैद हुआ।

 

राज्य के वन मंत्री गणपतसिंह वसावा ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा, 'इसकी पुष्टि हो चुकी है। एक बाघ जो 7-8 साल की उम्र का है, वह महिसागर में देखा गया है।'

बता दें कि गुजरात में आखिरी बार साल 1989 में बाघ देखा गया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद हर चार साल पर कराए गए केंद्र सरकार के सर्वे में बाघ की कोई मौजूदगी नहीं दिखी थी।

पिछले हफ्ते शनिवार को एक स्थानीय शिक्षक ने महिसागर जिले में एक बाघ की मूवमेंट की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी थी, जिसके बाद हरकत में आए विभाग ने इस वन्य जीव की तलाश में बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। शिक्षक महेश महेरा ने 6 फरवरी को बोरिया गांव से गुजरते वक्त एक बाघ को अपनी गाड़ी के पास देखा था। महेश ने इस बाघ की तस्वीर को अपने फोन के कैमरे में कैद कर लिया जो बाद में वन विभाग के अधिकारियों के साथ शेयर की गई थीं।

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