गाड़ियों की बिक्री पर ब्रेक क्यों लगा? ऑटो इंडस्ट्री में मंदी के 4 कारण

 
नई दिल्ली 

रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7 से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। आरबीआई के अनुसार, कुछ सेक्टरों में स्लोडाउन का साया गहरा होता जा रहा है। इसमे ऑटो सेक्टर प्रमुख है, जहां मांग लगातार घट रही है। इसके कारण वाहनों की खरीदारी कम होती जा रही है। इससे ऑटो कंपनियों को कम उत्पादन और सरप्लस स्टाफ की छंटनी करनी पड़ रही है। ऑटो सेक्टर के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स के अनुसार, इस वक्त ऑटो सेक्टर में 10 लाख नौकरियां जाने का खतरा पैदा हो गया है। अगर स्थिति न सुधरी तो यह संख्या और बढ़ सकती है। यहां अहम सवाल है कि गाड़ियां क्यों नहीं बिक रहीं? ग्राहक कहां गायब हो गए हैं? 

1. उधार देने वाली कंपनियां ही संकट में 
आंकड़ों के अनुसार, रिटेल मार्केट में मारुति कंपनी की जितनी गाड़ियां बिकती हैं, उसमें एक तिहाई कारों की फंडिंग नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनी (एनबीएफसी) की तरफ से की जाती है। छोटे और टीयर-2 शहरों में कारों की खरीदारी के लिए एनबीएफसी की फंडिंग प्रमुख सोर्स है यानी यहां लोग गाड़ी खरीदने के लिए इसी पर निर्भर हैं। इस वक्त अधिकांश एनबीएफसी खुद वित्तीय संकट में फंसी हैं। वे अपने लोन की वसूली नहीं कर पा रही हैं। इससे नए लोन देने की उनकी क्षमता कम होती जा रही है। ऐसे में उन्होंने उधार देना कम कर दिया है। इसका असर नकारात्मक पड़ना तय है।

2. जीएसटी की मार 
सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर बेशक जीएसटी कम कर दिया है, लेकिन अन्य गाड़ियों पर यह टैक्स 28% है। 

3. नए इंजन का इंतजार 
गाड़ी बनाने वाली कंपनियों को 1 अप्रैल 2020 तक अपने वाहनों में बीएस-6 इंजन लगाना अनिवार्य होगा। फिलहाल बीएस-4 इंजन लगता है। बीएस-6 से डीजल वाहनों से 68% और पेट्रोल वाहनों से 25% नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। लोग नए इंजन की गाड़ियां लेना चाह रहे हैं। 

4 ग्रामीणों की आमदनी में कमी 
सबसे हैरत वाले आंकड़े ट्रैक्टर की बिक्री के हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ट्रैक्टर की बिक्री में 10 से 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसके पीछे कारण है रबी फसल की पैदावार में कमी और खरीफ फसलों की बुवाई में गिरावट। इससे ग्रामीण लोगों की आमदनी में कमी आ रही है। इसके अलावा ट्रक में लोड को लेकर सरकार के बनाए सख्त नियम भी असर दिखा रहे हैं। इससे ट्रकों की बिक्री घटी है। 

सरकार से चाहत 
ऑटो सेक्टर के दिग्गजों और विशेषज्ञों का मानना है कि इस वक्त सरकार को सेक्टर में फंडिंग बढ़ाने की जरूरत है। मार्केट में मनी फ्लो बढ़ाने से ऑटो सेक्टर में आया स्लोडाउन जा सकता है। ऑटो एक्सपर्ट रणोज्य मुखर्जी का कहना है कि आरबीआई ने रेपो रेट तो कम कर दिया है, अब बैंकों को ऑटो लोन को सस्ता करना चाहिए। इससे लोग फिर से वाहन खरीदने के बारे में सोचेंगे। सरकार ऑटो सेक्टर पर परिस्थितियों को देखते हुए कुछ समय के लिए टैक्स कम कर सकती है। बेशक आने वाला समय इलेक्ट्रिक वाहनों का हो सकता है, लेकिन हमें वर्तमान में भी रहना होगा और कठिन परिस्थितियों का सामना करना होगा। ऐसे में जरूरी है कि भविष्य के साथ वर्तमान को भी देखा जाए। 
 

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