महंगाई से मिलेगी और राहत; 2019-20 में भारत की मुद्रास्फीति घटकर 4.10% रहेगी

नई दिल्ली    
भारतीय उपभोक्ताओं के लिए महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबर है। आने वाले महीनों में सब्जी, फल, दूध और दाल, अंडे, मांस, मछली जैसे खद्य प्रदार्थो की कीमतें में और कमी आ सकती है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। एडीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रुपये में मजबूती तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पूर्वानुमान में कटौती के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की महंगाई घटकर 4.10% रहेगी।

एडीबी ने कहा, खाद्य महंगाई में अनुमान से कम तेजी, अक्तूबर 2018 के बाद रुपये की मजबूती तथा जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान में कमी के कारण भारत की महंगाई का अनुमान 0.20% घटाकर 2019-20 के लिए 4.10 प्रतिशत तथा 2020-2021 के लिए 4.40% किया जाता है। एडीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में जारी उतार-चढ़ाव चिंता की बात है। एडीबी ने जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 0.20% घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है।    

एडीबी ने एशियाई विकास परिदृश्य 2019 के साथ कहा कि भारत दक्षिण एशिया क्षेत्र की महंगाई को कम करने का मुख्य कारक रहेगा। यानी भारत में महंगाई घटने से एशियाई देशों में भी राहत मिलेगी। एडीबी ने दक्षिण एशिया के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.70 प्रतिशत से घटाकर 4.50 प्रतिशत कर दिया है। वहीं, विकासशील एशिया के लिए 2019 और 2020 दोनों के लिए महंगाई पूर्वानुमान को संशोधित कर 2.5 फीसदी से 2.6 फीसदी किया है।

थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई जून में घटकर पिछले 23 महीनों के निम्न स्तर 2.02 प्रतिशत पर आ गई। सब्जियों, ईंधन और बिजली से जुड़े सामानों की कीमतों में कमी के कारण थोक महंगाई दर में लगातार दूसरे महीने गिरावट दर्ज की गई। वहीं, जून 2018 में यह आंकड़ा 5.68 प्रतिशत पर रहा था। जून में खुदरा महंगाई बढ़कर 3.18 प्रतिशत रही। इसके बावजूद फलों की महंगाई दर की वृद्धि धीमी रही। माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में भी महंगाई दर में और कमी बनी रहेगी।  

महंगाई नियंत्रण में रहने पर रिजर्व बैंक एक बार फिर से ब्याज दर में कटौती कर सकता है। वित्तिय विशेषज्ञों का कहना कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने के लिए आरबीआई ने कर्ज सस्ता किया है। बैंकों से भी रेपो रेट में कटौती का फायदा आम उपभोक्ताओं को देने को कहा है। बैंकों ने भी हाल के दिनों में होम और काल लोन सहित सभी तरह के लोन पर कम किए हैं। अगर अगली मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है तो कर्ज और सस्ता हो जाएगा।

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