गलतियों से सीख जनसंख्या नियंत्रण पर केंद्र का साथ देगी कांग्रेस

नई दिल्ली
पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए कांग्रेस इस बार पीएम मोदी की ओर से उठाए गए जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर शुरू से स्पष्ट और मुखर तरीके से इसके समर्थन में रहेगी। दूसरे विपक्षी दलों की भी मंशा है कि इसे मुद्दा नहीं बनने दिया जाए, जिससे इसका सियासी उपयोग नहीं हो सके। मालूम हो कि लाल किले से पीएम मोदी ने जनसंख्या विस्फोट को चिंताजनक ट्रेंड बताते हुए छाेटे परिवार की परिकल्पना को देशभक्ति से जोड़ा था। उसके अगले दिन जब कांग्रेस के सीनियर नेता पी. चिदंबरम और बाद में कांग्रेस ने पार्टी के स्तर पर भी पीएम मोदी की बात का समर्थन किया तो उसके पीछे यही रणनीति थी।

एनबीटी ने कांग्रेस सहित विपक्ष के सीनियर नेताओं से बात की तो उन सभी का कहना था कि जनसंख्या नियंत्रण हमेशा सभी सरकारों और राजनीतिक दलों की प्राथमिकता रही है। जाहिर है वे इस दिशा में उठाए गए कदम पर अनावश्क विवाद पैदा नहीं करेंगे। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि उनके शासनकाल में इस दिशा में कई कदम भी उठाए गए और 2011 जनगणना का ट्रेंड भी इस दिशा में संकेत था कि कुछ हद तक स्थिति में काबू आ रही है।

करुणाकरण कमिटी की रिपोर्ट पहले से मौजूद
दरअसल, पिछले तीन दशक से जनसंख्या नियंत्रण के लिए क्या-क्या प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर बहस जारी है। 1991 में सीनियर कांग्रेस नेता के. करुणाकरण के नेतृत्व वाली कमिटी ने जनसंख्यानियंत्रण की दिशा में जो सुझाव दिए थे, उसमें जनप्रतिनिधियों के लिए यह शर्त अनिवार्य रूप से लागू करने को कहा गया था कि उनके दो से अधिक बच्चे नहीं हो। लेकिन वह प्रस्ताव लागू नहीं हो सका। हालांकि, टुकड़ों-टुकड़ों में कुछ राज्यों ने पंचायत स्तर पर इसकी कोशिश जरूर की। उसी रिपोर्ट से इनपुट लेते हुए मोदी सरकार ने भी कानून मंत्रालय को इस दिशा में बेहतर कानून के विकल्व तलाशने को कहा है। जाहिर है कि कानून का प्रस्ताव सामने आने से पहले विपक्ष इस बार पूरी तैयारी कर लेना चाहता है।

पिछली हार से सबक लेगा विपक्ष
दरअसल मोदी-शाह की राजनीति में विपक्ष कई बार अलग-अलग मुद्दों पर परास्त होता रहा है। साथ ही कई बार मोदी सरकार इस तरह चौंकाती है कि विपक्ष को तैयारी का मौका तक नहीं मिलता है। मसलन बीजेपी की ओर से धारा 370 पर बिल सामने कर देने से विपक्षी दलों के नेताओं ने माना कि उन्हें बुरी तरह स्टंप कर दिया और कुछ भी सोचने का मौका नहीं मिला। अब इस एपिसोड से सीख लेते हुए विपक्षी दल के नेता अपने शीर्ष नेतृत्व से मांग कर रहे हैं कि राम मंदिर सहित तमाम बड़े मुद्दों पर पार्टी को पहले ही आपस में बात कर एक स्टैंड साफ कर लेना चाहिए ताकि ऐन मौके पर इस तरह की फजीहत न हो। जनसंख्या नियंत्रण पर आगे बढ़कर समर्थन करना और किसी पहल के साथ रहने की बात करना उसी डैमेज कंट्रोल राजनीति का हिस्सा है।

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