गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंट डॉक्टर का संदेश, लॉकडाउन में ऐसे रखें अपना खयाल

नई दिल्ली
गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंट डॉक्टर का संदेश, लॉकडाउन में ऐसे रखें अपना खयालकोरोना वायरस के साये के बीच एक गर्भवती महिला की मानसिक स्थिति क्या हो सकती है, इसे दूसरी गर्भवती महिला से बेहतर शायद ही कोई समझ सकता हो… डर के इस माहौल के बीच खुद की अतिरिक्त देखभाल करने का एक अनजाना मानसिक दबाव और कोरोना से सहमी हुई इस दुनिया में अपने होनेवाले बच्चे के लिए सुरक्षित जहां की कामना… कुछ ऐसे ही मनोभाव उठ रहे हैं उन महिलाओं के मन में जो इस महामारी के काल में अपने अंदर एक और जिंदगी समेटे हुए हैं…
पहले अपनी डॉक्टर से मिलिए
 हम सभी के साथ अपने अनुभव साझा कर रही हैं डॉक्टर सोनिया चावला। कोरोना संक्रमण के बीच एक गर्भवती महिला के मन में किस तरह के खयाल, डर और साहस भरे जो भी विचार आते हैं, ये सब विचार वो हमारे साथ बतौर डॉक्टर और बतौर प्रेग्नेंट वीमन साझा कर रही हैं…

डॉक्टर सोनिया गाइनोकॉलजिक लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं और पिछले 8 साल से इस फील्ड में अपनी सेवाएं दे रही हैं। ये रेजॉइस गाइनी लेप्रोस्कोपिक सेंटर, दिल्ली में कार्यरत हैं और आप इनसे मिलने के लिए 011-26261352 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

बतौर डॉक्टर और बतौर मां यह वक्त अलग है
-बतौर मां अपने बच्चे की सेफ्टी को लेकर चिंता होती है लेकिन बतौर डॉक्टर लगता है कि इस सबको फेस तो करना ही होगा…क्योंकि हमें तो खुद को, अपने बच्चों को और अपने समाज को स्ट्रॉन्ग बनाना है। प्रेग्नेंसी के दौरान लॉकडाउन से सबसे अधिक दिक्कत इस बात की है कि गर्भवती महिलाएं वॉक नहीं कर पा रही हैं।

-लेकिन इसका अर्थ यह तो नहीं है कि हम खुद को फिजिकली फिट रखने पर ध्यान नहीं देंगी। हमें अपने लिए और अपने बच्चे के लिए खुद को फिट रखना है। इसलिए मैं हर गर्भवती महिला से कहना चाहती हूं कि घर में ही चहल-कदमी करें। कुछ वक्त सूक्ष्म योग करें, इससे ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है और मन भी शांत रहता है।

पेंडेमिक और प्रेग्नेंसी…
-इस वक्त जब चारों तरफ इंफेक्शन का डर बना हुआ है तो हर प्रेग्नेंट महिला के मन में किस तरह के विचार आ रहे होंगे और किस तरह के मनोभावों से वो गुजर रही होंगी मैं अच्छी तरह समझ सकती हूं। वाकई यह आसान नहीं है!

-लेकिन मैं हर गर्भवती महिला से कहना चाहती हूं कि अगर आप ही डर के साये में जिएंगी तो आपका बच्चा कैसे साहसी बनेगा? हिम्मत रखिए और लॉकडाउन के दौरान जो लिमिटेड स्पेस आपके पास है, उसका बेहतर उपयोग कैसे किया जा सकता है, इस बारे में सोचिए। इससे सकारात्मक बने रहने में मदद मिलेगी। आप अधिक खुश रहेंगी।

इस बात की सख्त जरूरत है
-गर्भावस्था के दौरान महिलाएं बहुत सारे मानसिक और भावनात्मक उतार-चढ़ाव से गुजरती हैं। लेकिन इस वक्त हमें मानसिक रूप से बहुत अधिक मजबूत होने की जरूरत है।

-क्योंकि एक मां की सेहत के साथ ही उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर उसके मनोभावों का बहुत अधिक असर होता है। मैं हर प्रेग्नेंट महिला से बार-बार कहना चाहती हूं कि खुद को स्ट्रॉन्ग बनाइए। सेहत से भी और मन से भी।

हां डर तो है…
-डॉक्टर सोनिया का कहना है कि बतौर प्रेग्नेंट महिला अगर मैं सोचती हूं तो आज की स्थितियों को देखकर डर तो लगता है। लेकिन डरकर जिया तो नहीं जा सकता। मैं हर वो काम और कोशिश करती हूं, जो मेरे होनेवाले बेबी को हेल्दी और हैपी बनाए।

-एक महिला डॉक्टर और सर्जन होने के नाते मैंने कई क्रिटिकल केस डील किए हैं…इस अनुभव से कह सकती हूं कि मां होने को और प्रेग्नेंट महिला होने के दौरान जो सब महसूस किया जा सकता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। बस इतना ही कहूंगी कि जो अभी तक अपने पेशेंट्स को समझाती रही हूं, उस सब पर खुद अमल कर रही हूं।

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