खराब रिजल्ट वाले स्कूलों का रिजल्ट सुधारने के लिए शिक्षकों का एग्जाम 

भोपाल 
 10वीं-12वीं की परीक्षा में जिन सरकारी स्कूलों का रिजल्ट खराब रहा है, उन स्कूलों के शिक्षकों को अब छात्रों की तरह परीक्षा देनी होगी। विद्यार्थियों को दिए गए पिछले चार साल के प्रश्न-पत्रों में से कोई एक पेपर इन्हें हल करना होगा। मूल्यांकन के बाद इन्हें ए, बी, सी, डी ग्रेड दिए जाएंगे। प्रदेश के ऐसे 700 स्कूलों के करीब 3.5 हजार शिक्षकों को विषयवार परीक्षा के इस दौर से गुजरना होगा। 12 जून को जिला स्तर पर इनकी एक साथ परीक्षा होगी। परीक्षा का जिम्मा जिला शिक्षा अधिकारियों को सौंपा गया है। 

 10वीं-12वीं की 2018-19 में हुई परीक्षा के नतीजों का विश्लेषण करने के बाद ये निर्णय लिया गया है। 30 फीसदी व उससे कम रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षक इस दायरे में हैं। विभाग यह कवायद रिजल्ट सुधारने के लिए कर रहा है। इसके लिए प्रमुख सचिव जिला एवं संभागीय अधिकारियों की लगातार बैठक ले रही हैं।

 परीक्षा लेने के लिए जिला स्तर पर बनाई कमेटी : परीक्षा के लिए विभाग ने हर जिले में एक कमेटी भी बनाई है। इसमें जिला शिक्षा अधिकारी, जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाइट के प्रिंसिपल, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान परियोजना समन्वयक एवं एक्सीलेंस स्कूल के प्राचार्य शामिल होंगे। 
विषय विशेषज्ञ इनकी कापियां जांचेंगे, ग्रेडिंग पर तय होगा इनका भविष्य : हर विषय के विशेषज्ञ एवं बोर्ड परीक्षाओं के हेड वेल्यूअर इनकी कापी जांचेंगे। मूल्यांकन के बाद इन्हें ए, बी, सी, डी ग्रेड दिए जाएंगे। 30 मई को होने वाली बैठक में ग्रेडिंग के आधार पर इनके खिलाफ कार्रवाई तय करने का मसौदा तैयार किया जाएगा।  

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