क्यों शोरूम की घड़ी दिखाती है सिर्फ 10.10 का समय?

कभी ना कभी इस बात पर आपका भी ध्यान गया होगा कि भले ही घड़ी का कोई बड़ा शोरूम हो या छोटी दुकान, वहां रखी सभी घड़ी की सुईयां 10.10 पर होती हैं। घड़ी की दुकानें ही नहीं, घड़ी के विज्ञापनों में भी आपको यही समय नजर आएगा लेकिन इसके पीछे कारण क्या है। घड़ी को इस खास समय पर सेट करने के पीछे कई कहानियां मशहूर हैं। इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों दुकानों और विज्ञापनों में घड़ी दस बजकर दस मिनट पर रुकी होती है।

1. सैड फेस को बदलने के लिए
पहले टाइमेक्स और रोलेक्स जैसी मशहूर कंपनियां अपनी घड़ी का समय 8.20 पर रखती थीं ताकि उनकी कंपनी का नाम ग्राहकों को साफ़ साफ़ दिखाई दे सके। लेकिन बाद में उनको एहसास हुआ कि ये समय एक सैड फेस यानि रोते हुए चेहरे की तरह बना हुआ है जिससे लोगों पर नेगेटिव असर हो सकता है।

2. ख़ुशी वाला चेहरा
8.20 को नकारात्मकता का सूचक मानने वाली कंपनियों ने इसे बदलने का फैसला किया और इसके बदले में इसका उल्टा दिखने वाला 10.10 का समय चुना। आप गौर करें तो ये मुस्कुराते हुए चेहरे की तरह लगेगा।

3. इस समय से बनता है विक्ट्री का निशान
जब घड़ी पर दस बजकर दस मिनट होता है तब घंटे और मिनट वाली सुईयों की स्थिति अंग्रेजी के V अक्षर का निशान बनाती है। ये 'वी' विक्ट्री यानी जीत के निशान का प्रतीक है। घड़ी को खास समय पर सेट करने के पीछे एक ये कारण भी हो सकता है।

4. कंपनी का नाम दिखने के लिए
घड़ी निर्माता अपना नाम 12 अंक के ठीक नीचे लिखते हैं और 10.10 का टाइम चुनने से कंपनी के नाम पर तुरंत लोगों का ध्यान जाता है। ये समय घड़ी कंपनियों की मार्केटिंग स्ट्रेटजी का हिस्सा बनी।

5. हिरोशिमा-नागासाकी परमाणु हमले से संबंध
हिरोशिमा पर जब लिटिल बॉय नामक परमाणु बम गिराया गया था तब समय 10.10 ही था और उस हमले में मारे गए लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने के लिए घड़ी निर्माताओं ने ये समय चुना। लेकिन इस बात को पूरी तरह से सच नहीं माना जा सकता है क्योंकि नागासाकी पर हुए हमले का समय सुबह 8.10 पर था।

 

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