क्या राज्य सभा जाना चाहते हैं प्रशांत किशोर? पढ़ें, क्या बोले बिहार के सियासी दल

पटना
नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय  जनसंख्या रजिस्टर(NPR) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के मसले पर पूरे देश में सियासत जारी है. केंद्र सरकार के खिलाफ लगभग पूरा विपक्ष एक साथ बोल रहा है. हालांकि विरोधी दलों से भी अधिक मुखर आवाज सत्ताधारी एनडीए (NDA) की अहम सहयोगी जेडीयू (JDU) के नेता प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) यानि पीके की रही है. इसी बीच उन्होंने बिहार में एनडीए के बीच सीट शेयरिंग फॉर्मूले में जेडीयू को बड़ा भाई भी बता दिया तो बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है. जाहिर है एनडीए की मुख्य घटक भारतीय जनता पार्टी (BJP) को यह बात रास नहीं आ रही है, वहीं जेडीयू के भीतर भी कई नेताओं ने पीके के रुख से असहमति जताई है. इस बीच बिहार के सियासी गलियारों में एक चर्चा आम है कि पीके ये सब इसलिए कर रहे हैं कि उन्हें राज्यसभा जाना है!

इस सियासी चर्चा में कितनी सच्चाई है इसे तो पीके ही बेहतर बता सकते हैं, लेकिन उनके राज्य सभा जाने की महत्वाकांक्षा की बात की कांग्रेस नेता राजेश राठौर पुष्टि करते हुए कहते हैं कि वे आम आदमी पार्टी की ओर से राज्य सभा पहुंचना चाहते हैं इसलिए लगातार उल जुलूल बयान दिये जा रहे हैं. हालांकि वे तंज कसते हुए कहते हैं, अगर ऐसा होता तो उन्हें राष्ट्रपति या आजीवन प्रधानमंत्री बन जाना चाहिए था.

कांग्रेस नेता कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि प्रशांत किशोर एक इवेंट मैनेजर हैं, जो कई पार्टियों के लिए काम कर चुके है. वे मुख्यमंत्री से नीचे तो बात ही नहीं करते, जबकि उनकी हैसियत बैनर पोस्टर लिखने वाले से ज्यादा की नहीं है. यहां यह बता दें कि पीके पर कांग्रेस की नाराजगी इसलिए भी जाहिर हो रही है क्योंकि उन्होंने एनआरसी, एनपीआर और सीएए को नहीं लागू करने के लिए कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ऐलान करने की चुनौती दी है.

वहीं, महागठबंधन के अहम घटक राजद, कांग्रेस की बात से इत्तेफाक नहीं रखता. पार्टी के विधायक शक्ति सिंह यादव का कहना है कि प्रशांत किशोर कई पार्टियों के लिए काम कर चुके हैं. ऐसे में यह तो नही कहा जा सकता कि वो किसी अन्य पार्टी से राज्य सभा में जाने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हों. प्रशांत किशोर को राज्य सभा जाना होगा तो उनके लिए कोई परेशानी की बात नही है. वे जदयू या ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के अलावा आम आदमी पार्टी से भी राज्यसभा पहुंच सकते हैं, लेकिन इतना तय है कि वे बिना किसी एजेंडे के बयान नहीं देते.

राजद विधायक सवालिया लहजे में कहते हैं कि प्रशांत किशोर बिहार के मुख्यमंत्री से मिलते हैं, फिर ट्वीट के जरिये एनआरसी पर बोलते हैं. उसके बाद भाजपा-जदयू के सीट बंटवारे पर बोलते हैं. ऐसा बिना किसी इशारे के थोड़े ही होता होगा?

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं, प्रशांत किशोर हैं क्या चीज जो सीट-शेयरिंग पर अपनी बात रखे? एनडीए में 2020 विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए घटक दल के शीर्ष नेता बैठकर सीट-शेयरिंग पर बात करेंगे. इसमें प्रशांत किशोर जैसे इवेंट मैनेजर को बीच में पड़ने की जरूरत नहीं है.  प्रशांत किशोर को  तो अपनी पार्टी के अंदर भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

दूसरी ओर मामले को बढ़ता देख जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिन्हा ने नाम लिये बगैर प्रशांत किशोर को पार्टी से निकल जाने की सलाह दे दी है. उन्होने सोमवार को प्रेस से बात करते हुए पूछा कि, प्रशांत किशोर ने पार्टी के लिए किया क्या है? उनकी पार्टी कार्यकर्ताओ के मेहनत से चलती है न कि बयानबाजी और ट्वीट करने से. उन्होने इशारों में कहा कि अगर उनको पार्टी के लिए काम नहीं करना है तो चुप बैठें, और अगर ट्वीट करना है तो पार्टी से निकल जाएं.बहरहाल पीके की राज्यसभा जाने की महत्वाकांक्षा की खबरों के बीच जेडीयू महासचिव आरसीपी सिन्हा के तल्ख तेवर भी काफी कुछ बयान करता है. हालांकि बिहार की सियासत को जानने वाले सभी को मालूम है कि सीएम नीतीश कुमार के दोनों ही करीबी माने जाते हैं ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि प्रशांत किशोर अब अपनी बात किस अंदाज में रखते हैं और राज्य सभा जाने की खबरों पर क्या कहते हैं?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *