कैसे कामकाजी महिलाओं के लिए मुसीबत बनता जा रहा है लॉकडाउन ?
नई दिल्ली
देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों को देखते हुए पहले ही एहतियात के तौर पर भारत सरकार द्वारा 23 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी।ऑफिस न जा पाने के कारण लोग घर से ही अपने सारे ऑफिशल काम निपटा रहे हैं। भारत में कोरोना वायरस लॉकडाउन की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि महिलाओं के लिए इस दौरान काम का बोझ हल्का होने की बजाए दोगुना हो चुका है। यही वजह है कि यह लॉकडाउन पीरियड कामकाजी महिलाओं के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। दरअसल, इस लॉकडाउन के कारण नौकरीपेशा महिलाएं जहां एक ओर वर्क फ्रॉम होम करते हुए 9-10 घंटे ऑफिशल काम कर रही हैं तो वहीं बचे हुए समय में उन्हें घर व परिवार का भी पूरा ध्यान रखना पड़ रहा है। यह स्थिति उन्हें रोज फिजिकली और मेंटली ज्यादा थका रही है।
कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश दिए हैं। कुछ कंपनियों का ऐसा भी मानना है कि वर्क फ्रॉम होम के दौरान एंप्लॉयी का ऑफिस आने-जाने का समय पूरी तरह से बच रहा है, जिसके कारण उनसे ज्यादा काम की अपेक्षा की जा रही है। ऐसे में पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी ऑफिस के लिए अतिरिक्त वक्त निकालते हुए काम करना पड़ रहा है। यह स्थिति महिलाओं के लिए और भी ज्यादा परेशानी इसलिए बन रही है क्योंकि उनके लिए सिर्फ ऑफिस ही नहीं बल्कि घर के कामों के घंटे भी बढ़ गए हैं।
पुरुषों की न के बराबर मदद
भारतीय घरों में आमतौर पर घरेलू कामों की जिम्मेदारी महिलाओं के जिम्मे ही होती है। ऐसी स्थिति में अगर आम दिनों में भी अगर मेड छुट्टी कर ले तो काम के बोझ का बढ़ा हुआ प्रतिशत महिला के हिस्से में ही पड़ता है। अब लॉकडाउन में भी यही हो रहा है। जो कामकाजी महिलाएं अपने लिए कुछ वक्त निकालने के लिए मेड का सहारा लेती थीं उन्हें अब घर के सभी काम खुद ही करने पड़ रहे हैं। ऐसे में जहां उन्हें एक ओर अपने ऑफिस के 9 घंटे पूरे करने की चिंता सताती रहती है वहीं दूसरी ओर रात के खाने में क्या बनाना है? घर में कोई सब्जी है भी या नहीं? ऐसी तमाम बातें भी उनके दिमाग में चलती रहती हैं। इस स्थिति की एक वजह यह भी है कि अधिकतर परिवारों में पुरुषों से घरेलू कामों में हाथ बंटाने की अपेक्षा नहीं की जाती है। इस कारण उन्हें घर से जुड़े बेसिक काम करने में भी परेशानी आती है। अब जब अचानक लॉकडाउन की स्थिति आ गई है तो इस तरह के परिवारों की महिलाओं के पास घर और ऑफिस के काम को खुद ही मैनेज करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचा है।