कैदी बनकर जीने को मजबूर हैं ताजमहल के पास मौजूद इस गांव के 10 हजार लोग
आगरा
विश्व विख्यात ताजमहल की खूबसूरती निहारने दुनिया भर के लोग आते हैं. लेकिन आगरा के ताजगंज के लोग परिवहन से जुड़ी भारी मुश्किलें झेल रहे हैं. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में पेट्रोल-डीजल के वाहनों पर रोक लगा दी है. यहां तक कि एंबुलेंस भी इस एरिया में नहीं आ सकते हैं, जबतक कि वो बैटरी से चलने वाले नहीं हों, या फिर उसके पास परमिट नहीं हो.
नगला पैमा गांव के 10 हजार निवासियों और पास के 6 गांव के लोगों के लिए ये मुश्किल और भी परेशानियों का सबब है.
ये गांव प्रतिबंधित जोन से बाहर है और ताजमहल से इसकी दूरी 700 मीटर है. इसलिए यहां पर पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियां चल सकती हैं, कई लोगों के पास ये गाड़ियां हैं भी लेकिन जब शहर जाने की बात आती है तो उन्हें 15 किलोमीटर लंबा रूट लेकर शहर जाना पड़ता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध की वजह से इन गाड़ियों को इस रूट से जाने की अनुमति नहीं है.
पिछले पांच सालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा कई बार ताज महल आए. उन्होंने यहां के लोगों को ये समस्या दूर करने का आश्वसान भी दिया, लेकिन इस कोई समाधान अबतक नहीं निकला है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पूरे ताजगंज को फिर से बसाया जा रहा है, लेकिन इस गांव के लिए एक अदद सड़क नहीं बनाई जा सकी है ताकि ये लोग जरूरत पड़ने पर जल्द से जल्द आगरा शहर पहुंचे सकें.
स्थानीय निवासी शिव कुमार शर्मा ने इंडिया टुडे से कहा, "इन गांवों में रहना जेल में रहने के जैसा है, एक बार गांव में घुसने के बाद आप कैद हो जाते हैं, क्योंकि गांव से निकलने का एकमात्र रास्ता 15 किलोमीटर लंबा है जो धंधूपुरा से होकर जाता है, यदि किसी को जल्दी में शहर जाना है तो उसे 700 मीटर चलकर मुख्य सड़क तक जाना होगा, फिर उसे 900 मीटर और चलना होगा. इसके बाद वह शिल्पग्राम पहुंचेगा जहां से उसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिल पाएगा."
शिव कुमार ने बताया कि मेडिकल इमरजेंसी की हालत में यहां एंबुलेंस नहीं बुलाई जा सकती है और मरीज को साइकिल रिक्शा या फिर बैट्री रिक्शा के जरिए एंबुलेंस पार्किंग तक ले जाना पड़ता है जो 1.5 किलोमीटर दूर है.
पर्यटन विकास कमेटी के चेयरमैन सैयद इब्राहिम जैदी ने कहा कि इन गांव वालों के लिए साल 2006 से ही राहत देने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अब कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया जा सका है. रिपोर्ट के मुताबिक जह ताजमहल को महीने में पांच दिन रात्रि दर्शन के खोला जाता है तो इस गांव के लोग कैद हो जाते हैं. सुरक्षा कारणों की वजह से इनकी सारी मूवमेंट रोक दी जाती है.