कुपोषित बच्चों के परिवारों का बनेगा परिवार पोषण कार्ड

भोपाल
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती इमरती देवी ने कहा कि अब चिन्हित कुपोषित बच्चों के परिवारों के लिये परिवार पोषण कार्ड बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्राय: यह देखा गया है कि कुपोषित बच्चों के लिये दिये जाने वाले पोषण-आहार का उपयोग पूरा परिवार कर लेता है और बच्चा निर्धारित मात्रा के पोषण-आहार से वंचित रह जाता है।

परिवार पोषण कार्ड : खाद्य सामग्री के प्रकार एवं मात्रा

परिवार पोषण कार्ड के तहत हितग्राहियों के परिवार को प्रति सदस्य दाल (चना/मूंग) एक किलो प्रति माह, अधिकतम 4 किलो प्रति माह प्रति परिवार।

डबल फोर्टीफाइड साल्ट एक किलो प्रति माह प्रति परिवार।

कुल 10 किलो सोयाबड़ी प्रति परिवार प्रति वर्ष (दो-दो किलो के पैक में वर्ष में 5 बार)।

मंत्री ने कहा कि परिवार पोषण कार्ड संबंधित एकीकृत बाल विकास परियोजना क्षेत्र में निवासरत गर्भवती, धात्री तथा अति-कम वजन एवं कम वजन के बच्चों के परिवारों को दिया जायेगा। चयनित हितग्राहियों के परिवार के लिये परिवार पोषण कार्ड संबंधित आँगनवाड़ी केन्द्र से आँगनवाड़ी कार्यकर्ता के हस्ताक्षर से जारी होंगे। कार्ड की प्रामाणिकता के लिये आँगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा होलोग्राम लगाया जायेगा। उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्र की शासकीय उचित मूल्य दुकान से परिवार पोषण कार्ड के आधार पर परिवार को निर्धारित मात्रा में सूचीबद्ध खाद्य सामग्री उपलब्ध होगी।

आँगनवाड़ी नर्सरी स्कूल की होगी शुरूआत

महिला-बाल विकास मंत्री ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और आँगनवाड़ी की ओर ज्यादा से ज्यादा बच्चे आकर्षित हों, इस उद्देश्य से शाला पूर्व शिक्षा के लिये 'आँगनवाड़ी नर्सरी स्कूल'' की परिकल्पना को मूर्तरूप दिया जा रहा है। इससे बच्चों को न सिर्फ पौष्टिक आहार, बल्कि शाला पूर्व शिक्षा भी प्राप्त हो सकेगी।

पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीधा संवाद

महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती इमरती देवी अनूठी पहल करते हुए विभाग के हर स्तर के अधिकारियों से सीधा संवाद कर रही हैं। उन्होंने आज मंत्रालय के एनआईसी कक्ष में प्रदेश के सभी जिलों के सुपरवाइजर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सुपरवाइजर विभाग और समुदाय के बीच की सरकारी कड़ी हैं। सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिये जरूरी है कि सेवा देने वाले अमले का मनोबल बढ़ाया जाये।

कॉन्फ्रेंसिंग में सुपरवाइजर स्तर पर कार्य करने संबंधी समस्याओं और बेहतर कार्य किये जाने के सुझाव दिये गये। आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण और पलायन, आँगनवाड़ी केन्द्रों से निकलने वाले बच्चों का प्रमाणीकरण, बच्चों का ड्रेस कोड, एनआरसी में बच्चों की भर्ती की प्रक्रिया के मापदण्ड का पुनरीक्षण तथा मोटीवेशनल प्रशिक्षण की व्यवस्था जैसे सुझावों पर चर्चा की गई। इस अवसर पर प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास श्री जे.एन. कंसोटिया, आयुक्त महिला-बाल विकास श्री एम.बी. ओझा, संचालक महिला-बाल विकास श्री अभय वर्मा मौजूद थे।

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