किसानों की कर्ज माफी के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज

जबलपुर
प्रदेश सरकार द्वारा की गई किसानों की कर्ज माफी के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि यह पब्लिसिटी स्टंट है। चीफ जस्टिस संजय कुमार सेठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने अपने आदेश कहा कि राज्य सरकार की किसान कर्ज माफी योजना में कोर्ट दखल नहीं दे सकती, इस तरह की याचिका के लिए हाईकोर्ट उचित फोरम नहीं है। 

याचिकाकर्ता इलाहाबाद निवासी अधिवक्ता मोहित कुमार की ओर से अधिवक्ता अभिषेक सिंह ने दलील दी कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के चंद घंटों के भीतर अपने चुनावी घोषणा-पत्र में किए गए वादे को पूरा करने की मंशा से किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया। 

2 लाख तक का कर्ज माफ किए जाने का निर्णय बेहद जल्दबाजी में गुणदोष की समुचित समीक्षा किए बिना लिया गया। इस निर्णय से वित्तीय बोझ बढ़ेगा। सवाल यह भी है कि इस राशि की खानापूर्ति कहां से और कैसे होगी? 

हाईकोर्ट ने जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता सस्ती लोकप्रियता चाहता है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि राजनीतिक मुद्दे के निराकरण के लिए कोर्ट उपयुक्त फोरम नहीं है। बहस के दौरान राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी व अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक शेखर ने जनहित याचिका खारिज किए जाने पर बल दिया। 

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