कारगिल युद्ध लड़ने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह घोषित हुए विदेशी, भेजे गए डिटेंशन कैंप

नई दिल्ली

दो दशक पहले कारगिल युद्ध लड़ने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित किया गया है. इसके बाद उन्हें हिरासत शिविर में भेज दिया गया है. फिलहाल 52 वर्षीय मोहम्मद सनाउल्लाह सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं. सनाउल्लाह को विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित किया है.

असम के कामरूप जिले के बोको पुलिस थाना क्षेत्र के गांव कोलोहिकाश के निवासी मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित कर दिया. कामरूप जिले के अपर पुलिस अधीक्षक संजीब सैकिया ने बताया कि 2008 में सनाउल्लाह का नाम मतदाताओं की सूची में ‘डी’ (संदिग्ध) मतदाता के रूप में दर्ज किया गया था.

संजीब सैकिया ने बताया कि न्यायाधिकरण के फैसले के बाद पुलिस ने तय प्रक्रिया के अनुरूप कार्रवाई करते हुए सनाउल्लाह को गोलपाड़ा के हिरासत शिविर में भेज दिया. शिविर में जाने से पहले सनाउल्लाह ने बताया कि वह भारतीय नागरिक हैं और उनका परिवार 1935 से ही असम में रह रहा है. उनके पास नागरिकता से संबंधित सारे कागजात हैं. वह न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

असम पुलिस में एएसआई हैं मोहम्मद सनाउल्लाह

सनाउल्लाह ने बताया कि उन्होंने सेना में शामिल होकर तीस साल (1987-2017) तक इलेक्ट्रोनिक एंड मैकेनिकल इंजीनियर विभाग में सेवाएं दी हैं और उन्हें 2014 में राष्ट्रपति की तरफ से पदक भी मिल चुका है. वह बीते साल से सीमा पुलिस में बतौर सहायक उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत है.

गलत साल बताने पर घोषित हुए विदेशी?

सेना में जूनियर कमीशन अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए मोहम्मद अजमल हक ने बताया कि असम में जन्म के बीस साल बाद 1987 में सनाउल्लाह सेना में शामिल हुए थे. वह 2017 में सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद सीमा पुलिस में शामिल हो गए. उन्होंने (सनाउल्लाह) एक सुनवाई में गलती से 1978 में सेना में शामिल होने का उल्लेख किया.

अजमल हक के मुताबिक,  'इस गलती के आधार पर न्यायाधिकरण ने उन्हें (सनाउल्लाह) विदेशी घोषित किया है. सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरण ने कहा था कि कोई भी 11 साल की उम्र में सेना में शामिल नहीं हो सकता है.' अजमल हक को भी न्यायाधिकरण द्वारा नोटिस दिया गया था.

असम में 125,333 डी-वोटर, ऐसे मिल सकती है भारतीय नागरिकता

असम के संसदीय कार्य मंत्री चंद्र मोहन पटोवेरी ने कुछ महीने पहले राज्य विधानसभा में एक रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 125,333 डी-वोटर (चुनाव आयोग द्वारा चिह्नित संदिग्ध मतदाता) हैं और न्यायाधिकरणों को भेजे गए 244,144 मामलों में से 131,034 का निपटारा कर दिया गया है.

इस बीच एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने एक अधिसूचना में कहा कि मतदाता सूची में 'डी' के रूप में चिह्नित मतदाताओं को एनआरसी में शामिल किए जाने पर विचार किया जाएगा, यदि वह अदालत से भारतीय घोषित होने का प्रमाण पत्र ले आते हैं.

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