कांग्रेस को SC से झटका, दोनों सीटों पर अलग-अलग ही होंगे चुनाव

नई दिल्ली
गुजरात में राज्यसभा की खाली हुईं 2 सीटों पर एक साथ चुनाव की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देने से इनकार करते हुए चुनाव आयोग को दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने को हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात कांग्रेस से कहा कि चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद हम दखल नहीं दे सकते। आप को चुनौती देना है तो बाद में चुनाव याचिका दाखिल कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि विधायी अधिकार है। ऐसे में आप रिट नहीं लगा सकते। अमित शाह और स्मृति इरानी के लोकसभा सदस्य बनने के बाद खाली हुईं दोनों सीटों के लिए 5 जुलाई को वोटिंग होगी लेकिन दोनों सीटों के लिए अलग-अलग वोटिंग होगी।

चुनाव आयोग की ओर से 15 जून को जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार दोनों सीटों के लिए चुनाव 5 जुलाई को ही होने हैं। दोनों सीटों पर चुनाव अलग-अलग हो रहे हैं, लिहाजा विधायक एक बार में ही दोनों सीटों के लिए वोट नहीं डाल पाएंगे। आयोग के इस फैसले को गुजरात कांग्रेस के नेता परेश भाई धनानी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बीजेपी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और ओबीसी नेता जुगलजी ठाकोर को अपना उम्मीदवार बनाया है। आज ही नॉमिनेशन की आखिरी तारीख है।

अलग-अलग चुनाव पर कांग्रेस को क्या नुकसान?
गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटें हैं, लेकिन फिलहाल इसके 175 सदस्य हैं। बीजेपी के पास 100 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं। राज्यसभा की सीटों के लिए संबंधित राज्य के विधायक ही वोट देते हैं। इन विधायकों में से हर कोई दोनों सीटों के लिए 2 अलग-अलग बैलट से वोट देंगे। ऐसे में किसी उम्मीदवार को जीतने के लिए 88 वोटों की दरकार होगी। कांग्रेस के सिर्फ 71 विधायक हैं, लिहाजा उसका दोनों में से किसी पर भी जीत मुश्किल है।

एक साथ चुनाव से कांग्रेस को कैसे होता फायदा?
सबसे पहले तो राज्यसभा चुनाव के फॉर्म्युले को समझ लेते हैं। इसका फॉर्म्युला है: N= [T/(S+1)] +1 है। यहां N का मतलब जीत के लिए जरूरी वोट है। T का मतलब कुल वोटरों की संख्या (विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या) और S का मतलब रिक्तियां (जितनी सीटों पर चुनाव) हैं।

अब इस फॉर्म्युले को गुजरात में लागू करें तो वहां फिलहाल कुल 175 विधायक हैं। अगर एक साथ दोनों सीटों पर चुनाव होते तो फॉर्म्युले के हिसाब से जीत के लिए जरूरी वोट (N)= [175/(2+1)]+1, यानी (175/3)+1, यानी 58.33+1, यानी 59.33 वोट। इस तरह किसी उम्मीदवार को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 60 वोट जरूरी होंगे। ऐसे में कांग्रेस एक सीट आसानी से जीत सकती थी क्योंकि सूबे में उसके 71 विधायक हैं।

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