सदन में संजय राउत की बैठने की जगह बदल गई

नई दिल्ली
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच तनातनी का असर केंद्र की राजनीति से लेकर संसद तक दिख रहा है। शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत की सीट सदन में बदल दी गई है। इस पर राउत ने सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर आश्चर्य प्रकट किया और आरोप लगाया कि यह शिवसेना को आहत करने के लिए किया गया है।

अभी एनडीए से निष्कासन का औपचारिक ऐलान बाकी: राउत
शिवसेना सांसद ने राज्यसभा के सभापति को लिखी चिट्ठी में कहा, 'जानकर हैरान हूं कि राज्यसभा में मेरी सीट बदलकर तीसरी से पांचवीं कतार में कर दी गई है। किसी ने यह फैसला जानबूझकर शिवसेना की संवेदना को चोट पहुंचाने और हमारी आवाज दबाने के लिए किया है।' राउत ने पत्र में कहा कि अभी शिवसेना के एनडीए से अलग होने का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में यह फैसला समझ से परे है। उन्होंने इस कदम को राज्यसभा की गरिमा पर प्रहार बताया।

इस कदम से सदन की मर्यादा पर प्रहार: राउत
राउत ने लिखा, 'मुझे इस अनपेक्षित कदम की वजह इसलिए भी समझ नहीं आई क्योंकि (शिवसेना को) एनडीए से हटाने की अभी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। इस फैसले से सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है।' शिवसेना सांसद ने सभापति से दोबारा पहली, दूसरी या तीसरी पंक्ति में बैठने की अनुमति देने की मांग की। उन्होंने कहा कि इन पंक्तियों में किसी एक में उनके बैठने की व्यवस्था कर सदन की मर्यादा बरकरार रखी जाए। गौरतलब है कि राज्यसभा में सदस्यों के सिटिंग अरेंजमेंट सभापति की मर्जी के मुताबिक होता है। इस संबंध में नियम राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

महाराष्ट्र के भविष्य पर संशय बरकार
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव साथ-साथ लड़ने के बाद शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग पर अड़ते हुए बीजेपी से नाता तोड़ लिया और एनसीपी-कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशन लगी। हालांकि, शिवसेना की इस जद्दोजहद में अबतक सफल नहीं हो पा रही है और कभी एनसीपी से तो कभी कांग्रेस की तरफ से चौंकाने वाले बयान आते रहते हैं। आज भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के सवाल पर 'नो कॉमेंट्स' कहकर संशय बरकरार रखा। आज ही एनसीपी चीफ शरद पवार भी संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले हैं। हालांकि, संजय राउत का दावा है कि गुरुवार दोपहर तक शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के बीच आखिरी सहमति का ऐलान हो जाएगा क्योंकि सरकार निर्माण की सारी बाधाएं खत्म हो चुकी हैं।

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