कांग्रेस का यह ड्रीम प्रोजेक्ट बना मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए चुनौती

भोपाल
 मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करना कांग्रेस के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। लेकिन इस व्यवस्था को लागू करने में कांग्रेस सरकार के आठ मुख्यमंत्री नाकाम रहे हैं। अब मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने भी यह बड़ी चुनौती है। कमिश्नर प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव 31 साल पहले बना था। तब से अब तक एक दर्जन बार प्रस्ताव बनाए जा चुके हैं लेकिन इनको लागू नहीं किया जा सका है।

15 साल का लंबा वनवास खत्म कर कांग्रेस सत्ता में आई है। ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ से एक बार फिर कमिश्नर प्रणाली लागू होने की उम्मीद जताई जी रही है। इसे लेकर सरकार गंभीर भी और वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा भी कर रही है। लेकिन प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि आईएएस लॉबी इसे लागू होने नहीं देना चाहती है। यही कारण है कि बार बार प्रस्ताव बनने का बाद भी ठंडे बस्ते में चला जाता है। तत्कालीन डीजीपी नटराजन ने सबसे पहले इंदौर और भोपाल में यह सिस्टम लागू करने की सिफारिश की थी। नटराजन ने प्रस्ताव में बताया था कि राज्य में कुछ नौकरशाहों ने अपने निहित स्वार्थों के कारण प्रशासनिक व्यवस्था में परिवर्तन के हर प्रयासों को रोकने का काम किया है। तीन दशक पहले उनके द्वारा जताई गई आशंका हाल ही में भोपाल और इंदौर में यह प्रणाली लागू करने में दिखाई दी।

वचन पत्र में कांग्रेस किया वादा

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में प्रदेश में कमिश्नर प्रणाली लागू करने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद अब सरकार के सामने यह मुद्दा चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। सूत्रों के मुताबिक नौकरशाह इस फैसले को लागू होने के पक्ष में नहीं है। वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में आईपीएस अफसरों की कमी के कारण भी यह होने संभव नहीं हो पा रहा है।

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