मेट्रो की लागत में कोई बढ़ोतरी हुई तो प्रदेश सरकार को भुगतना होगी

    भोपाल
 भोपाल में मेट्रो की लंबाई बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो इसकी लागत भी बढ़ेगी। फिलहाल मेट्रो के लिए जो मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) तैयार हुआ है, उसके अनुसार लागत में कोई भी बढ़ोतरी होती है तो वह राज्य सरकार को भुगतना होगी।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्द्धन सिंह ने विधानसभा में भोपाल में मेट्रो को मंडीदीप, औबेदुललागंज, सीहोर और इंदौर मेट्रो को उज्जैन तक बढ़ाने पर विचार करने की बात कही थी। इसके लिए फिजिबिलिटी सर्वे कराया जाएगा। अंतिम निर्णय इसके बाद ही होगा।

योजना के अनुसार ये होगी लागत

अभी तक प्लान के मुताबिक भोपाल मेट्रो की लागत 6941 करोड़ रुपए और इंदौर मेट्रो की लागत 7500 करोड़ रुपए आंकी गई है। इसमें कीमतें बढ़ने, एक्सचेंज रेट में बदलाव, काम में देरी के कारण कोई भी बढ़ोतरी होती है, तो उसे प्रदेश सरकार को वहन करना होगा। यह शर्त मेट्रो के लिए केंद्र, राज्य सरकार और मप्र मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड (एमपीएमआरसीएल) के बीच होने वाले एमओयू में शामिल हैं।

लोन में चूक भी प्रदेश सरकार को पड़ेगी भारी
एमओयू के अनुसार, मप्र मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड यदि लोन चुकाने में चूकी तो इसका खामियाजा भी प्रदेश सरकार को भुगतना पड़ेगा। मेट्रो के लिए जमीन के अधिग्रहण से लेकर विस्थापितों के पुनर्वास तक का खर्च राज्य सरकार को ही उठाना पड़ेगा। इसमें लोगों को बसाने का काम भी सरकार को करना होगा। प्रदेश सरकार मेट्रो के काम के लिए एमपीएमआरसीएल को अपने यहां के सभी टैक्स से छूट देगी या उन करों की पूर्ति करेगी।

केंद्र और राज्य का हिस्सा 20-20% होगा

मेट्रो के लिए 60 फीसदी हिस्सा लोन से आएगा। एमपीएमआरसीएल भोपाल के लिए यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक और इंदौर के एशियन डेवलपमेंट व न्यू डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेगी। केंद्र और राज्य का हिस्सा 20-20 फीसदी होगा।

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