कहीं आपका इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर तो नहीं

अधिकतर समय शरीर को बीमारियों और संक्रमण से इम्‍यून सिस्‍टम बचाता है। हालांकि, कुछ लोगाें का इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होने की वजह से उन्‍हें बार-बार संक्रमण होने का खतरा रहता है। स्‍वस्‍थ रहने और बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्‍यून सिस्‍टम का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है।
सफेद रक्‍त कोशिकाओं, एंटीबॉडीज और अन्‍य तत्‍वों जैसे कि अंगों और लिम्‍फ नोड्स से इम्‍यून सिस्‍टम बनता है। कई विकार प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देते हैं। ये इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकार हल्‍के से गंभीर हो सकते हैं और व्‍यक्‍ति जन्‍म से ही या पर्यावरणीय कारकों की वजह से भी इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकारों से ग्रस्‍त हो सकता है।
इनमें एचआईवी, कुछ प्रकार के कैंसर, कुपोषण, वायरल हेपेटाइटिस और कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट शामिल हैं। कभी-कभी इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकार इतने हल्‍के होते हैं कि व्‍यक्‍ति को कई सालों तक इसका पता नहीं चल पाता है। कुछ मामलों में ये विकार इतना गंभीर रूप ले लेते हैं कि व्यक्ति को बार-बार संक्रमण होता रहता है।इस स्थिति में आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आपका इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर है या नहीं ताकि आप समय रहते इसका इलाज कर इसे गंभीर रूप लेने से बच सकें।

इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होने के लक्षण
प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने का प्रमुख लक्षण बार-बार संक्रमण होना ही है। इन्‍हें बाकी लोगों की तुलना में ज्‍यादा जल्‍दी इंफेक्‍शन होता रहता है और ये बीमारियां ज्‍यादा गंभीर और इलाज के लिए मुश्किल हो सकती हैं।
मजबूत इम्‍यूनिटी वाले लोगों की तुलना में इन्‍हें संक्रमण से लड़ने में भी दिक्‍कत होती है। कमजोर इम्‍यूनिटी वाले लोगों में निमोनिया, मेनिनजाइटिस, ब्रोंकाइटिस और त्‍वचा संक्रमण का खतरा अक्‍सर बना रहता है। ये संक्रमण व्‍यक्‍ति को बार-बार परेशान करते हैं।
वहीं कमजोर इम्‍यूनिटी के अन्‍य लक्षणों में ऑटोइम्‍यून डिस्‍ऑर्डर, आंतरिक अंगों में सूजन, खून से संबंधित विकारों या असामान्‍यताओं जैसे कि एनीमिया, पाचन से जुड़ी परेशानियां जैसे कि भूख कम लगना, दस्‍त या पेट में ऐंठन, बच्‍चों और नवजात शिशु के विकास में देरी होना शामिल हैं।

कैसे होता है इलाज
प्रत्‍येक इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकार का इलाज हर व्‍यक्‍ति की स्थिति पर निर्भर करता है। जैसे कि एडृस कई विभिन्न संक्रमण पैदा करता है। डॉक्‍टर हर इंफेक्‍शन के लिए दवाई देते हैं।
इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकारों के इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक और इम्‍यूनोग्‍लोबुलिन थेरेपी शामिल हैं। अन्‍य एंटीवायरल दवाओं में एमैंटाडिन और एसिक्‍लोविर आदि दवाएं शामिल हैं।
यदि बोन मैरो पर्याप्‍त लिम्‍फोसाइट्स का उत्‍पादन नहीं कर पा रहा है तो डॉक्‍टर बोन मैरो ट्रांस्‍प्‍लांट कर सकते हैं।

क्‍या करें
जिन लोगों की इम्‍यूनिटी कमजोर होती है उन्‍हें स्‍वस्‍थ रहने और संक्रमण से बचने के लिए यहां बताई गई बातों पर ध्‍यान देना चाहिए :

    साफ-सफाई का ध्‍यान रखें।
    तनाव से दूर रहें।
    बीमार लोगों से पर्याप्‍त दूरी बनाकर रखें।
    पर्याप्‍त नींद लें।
    संतुलित आहर खाएं।
    नियमित व्‍यायाम करें।

हम सभी जानते हैं कि इम्‍यून सिस्‍टम का मजबूत होना कितना जरूरी और आज के कोराना से संक्रमण वातावरण में तो ये और भी ज्‍यादा जरूरी हो जाता है। अगर आपको अपने अंदर कमजोर इम्‍यूनिटी के लक्षण दिख रहे हैं तो इसका इलाज जरूर करवाएं ताकि आप स्‍वस्‍थ जीवन जी सकें। इस बात का खास ख्‍याल रखें कि स्‍वस्‍थ रह कर ही आप जीवन के अन्‍य सुखों को भोग सकते हैं।

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