कलेक्टर महीने में दो बार एक ब्लॉक और गाँव में जाकर सुलझाएं समस्याएं

भोपाल

मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि जनहित के काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्यवाही को प्रचारित करें, ताकि आम लोगों को पता चले और अन्य लापरवाह अधिकारियों को भी सबक मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में प्राप्त शिकायतों और समस्याओं का समाधान शत-प्रतिशत होना चाहिए।

मुख्यमंत्री आज यहाँ मंत्रालय में वीडियो कांन्फ्रेसिंग के माध्यम से जनाधिकार कार्यक्रम में कलेक्टरों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने 10 जिलों के 12 लोगों की समस्याओं का समाधान किया । उन्होंने हितग्राहियों से पूछा कि शिकायत दर्ज कराने से लेकर समाधान मिलने तक कितना समय लगा और किन-किन जगह विलंब हुआ। उन्होंने कलेक्टरों से कहा कि शिकायतें आने पर ही निराकरण करने की संस्कृति को समाप्त करें। जिलों के सेवा प्रदाय तंत्र को ऐसा चुस्त दुरूस्त रखें कि शिकायतों की संख्या निरंतर कम होती जाए। उन्होंने कहा कि समय पर समाधान न करने वालों की जिम्मेदारी तय हो और उन पर की जाने वाली कार्यवाई की बुकलेट बनाई जाए ताकि लोगों को अपने दायित्व का भान हो सके।

मुख्यमंत्री ने टीकमगढ़ के किसान दीनदयाल गुप्ता को वर्ष 2017 की सूखा राहत की राशि नहीं मिलने पर नाराजगी जताई। कलेक्टर ने पूछने पर बताया कि जिले में 3325 किसानों को 55 लाख रुपये देना बाकी है। मुख्यमंत्री ने शहडोल के प्रभुलाल यादव को कर्मकार मंडल द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति समय पर न मिलने पर भी अप्रसन्नता व्यक्त की।

मुख्यमंत्री श्री नाथ ने 'आपकी सरकार-आपके द्वार' कार्यक्रम के संबंध में कलेक्टरों से चर्चा करते हुए कहा कि वे महीने में दो बार किसी एक ब्लाकऔर गाँव में जाकर लोगों की समस्याएँ सुनने और तत्काल निराकरण योग्य समस्याओं का स्थल पर ही निराकरण करें। उन्होंने कलेक्टरों को प्रत्येक माह राज्य मुख्यालय को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए ।

खाद-बीज की कोई कमी नहीं

मुख्यमंत्री श्री नाथ ने जिलों में खाद-बीज की उपलब्धता के संबंध में पूछा, तो कलेक्टरों ने बताया कि खाद-बीज की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कई मुद्दों पर कलेक्टरों से बात की और निर्देश दिये। स्कूल चलें हम अभियान के अंतर्गत दाखिला मिले बच्चों के संबंध में श्री नाथ ने कहा कि यह देखना होगा कि दाखिला लिये बच्चे किसी भी कारण से स्कूल नहीं छोड़ें।

मुख्यमंत्री ने औद्योगिक निवेश के संबंध में कहा कि वे जिलों में सहयोगी की भूमिका में निवेशकों का साथ दें, उनकी मदद करें। कौशल विकास केन्द्रों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आकलन करें कि प्रशिक्षण के बाद रोजगार मिलने और स्वरोजगार स्थापित करने में कितनी सफलता मिली। सिर्फ कौशल प्रशिक्षण देना पर्याप्त नहीं है। कानून-व्यवस्था के संबंध में उन्होंने कहा कि आपसी समन्वय एवं सावधान रहने से कानून-व्यवस्था पर बेहतर नियंत्रण हो सकेगा।

प्रयोग के तौर पर तीन जिलों की अपनी हेल्पलाइन स्थापित करें

मुख्यमंत्री श्री नाथ ने सीएम हेल्पलाइन 181 की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रयोग के तौर पर तीन जिलों की अपनी हेल्पलाइन स्थापित करें और इसका परिणाम देखें। इसी प्रकार प्रत्येक सेक्टर के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन भी स्थापित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जिस जिले में सेवा प्रदाय तंत्र कमजोर होता है, वहां से ज्यादा शिकायतें मिलती हैं। इसी प्रकार जिस जिले में शिकायत नहीं के बराबर हैं, इसका मतलब जनता ने शासन से उम्मीद करना बंद कर दिया है। दोनों स्थितियां ठीक नहीं हैं। शिकायत निवारण का तंत्र नीचे से ऊपर की ओर काम करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने उज्जैन जिले के बड़नगर विकासखंड के श्री मकबूल की उपार्जन का भुगतान न होने, गुना के मकसूदनगढ़ की श्रीमती ताराबाई को प्राकृतिक प्रकोप की राशि नहीं मिलने, शहडोल के जयसिंहनगर के श्री प्रभुदयाल की बेटी को छात्रवृत्ति न मिलने, सागर में गोड़झामर के बद्रीप्रसाद, मंदसौर के श्री सराफत, टीकमगढ़ के श्री दीनदयाल, राजगढ़ के श्री रामचन्द्र सोलंकी, बड़वानी के श्री विजय, देवास के श्री बलराम कोक को जननी सुरक्षा का लाभ न मिलने जैसी शिकायतों का निराकरण किया।

इस अवसर पर सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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