कर्ज से बिगड़ सकती है मानसिक सेहत, जानें क्या-क्या हो सकते हैं प्रभाव

लोन यानी कर्ज कई बार मजबूरी में लेना पड़ता है, तो कुछ लोग दिखावे के लिए भी कर्ज लेकर अपना जीवन स्तर बेहतर करने की कोशिश करते हैं। कारण चाहे जो भी हों, लेकिन अगर आप कर्ज का सही तरह से प्रबंधन नहीं कर पाते हैं, तो दिमाग की सेहत बिगड़ने की काफी आशंका रहती है।

हममें से तकरीबन हर किसी की पूरी कोशिश रहती है कि जीवनशैली की आधुनिक समय की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें। लेकिन उपयुक्त आर्थिक योजना के बिना हम जीवन के लक्ष्य से दूर हो सकते हैं। ऐसे में मुमकिन है कि दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी न कर सकें। बेशक, अच्छी वित्तीय योजना वर्तमान के साथ भविष्य को भी सुनिश्चित करती है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हम सब कुछ ठीक से प्लान करते हैं, पर ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ जाती है और इसके लिए कर्ज लेने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं रहता। कर्ज लेने की परंपरा बहुत पुरानी है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेने के पहले सोचते भी नहीं हैं। दूसरी ओर, कुछ लोग कर्ज लेने के बारे में सोचने से भी दूर रहते हैं, बशर्ते वित्तीय आवश्यकता ऐसी हो, जिससे बचा नहीं जा सके।  

कर्ज से बचें
कर्जदार बनने के अलावा क्या आप जानते हैं कि कर्ज लेने वालों की स्वास्थ्य की स्थिति खराब हो जाती है। जी हां, कर्ज लेने से आपका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है और आखिरकार आपकी शारीरिक स्थिति खराब हो जाती है। हर व्यक्ति की जीवनशैली अलग होती है और परिवार के साथ आवश्यकताएं भी बदलती रहती हैं। उच्च स्तर की जीवनशैली के लिए कर्ज लेने का आइडिया वाकई बुरा है। अगर आपकी आय सीमित है, तो कर्ज लेकर किस्तों में छुट्टी बिताने का महंगा अंदाज निश्चित रूप से गलत है।

कैसे प्रभावित होती है मानसिक स्थिति
कर्ज और मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध है। कर्जदारों पर मानसिक तनाव उन लोगों के मुकाबले तीन गुना
अधिक होने का अनुमान है, जिन पर कर्ज नहीं है। अपने मानसिक स्वास्थ्य पर कर्ज का प्रभाव जानने के बाद बहुत संभव है
कि आप इस शांत हत्यारे से दूर रहने का मन बनाएं।

क्या-क्या हो सकते हैं प्रभाव
’जो लोग आर्थिक मुश्किल में होते हैं, कर्ज का विकल्प चुनते हैं और कर्ज का बोझ यह एहसास कराता है कि सब कुछ नियंत्रण से बाहर है। इससे तनाव बढ़ता है।
’अगर व्यक्ति कर्ज चुकाने में अक्षम हो तो स्थिति और खराब हो जाती है। वह हताश महसूस कर सकता है, जिससे उसका आत्मविश्वास कम हो जाता है।
’कर्जदार लोग अपनी आर्थिक स्थिति साझा करने में शर्माते हैं और सामाजिक होने से बचते हैं।
’कर्ज लेने वाले लोग खुद को दोषी महसूस करते हैं और मानते हैं कि कर्ज लेना उनकी गलती है।
’ऐसे व्यक्ति में अवसाद और चिंता घर कर जाती है।
’कर्ज के बोझ से दबा व्यक्ति तनाव महसूस करता है और कर्ज से निकलने की अपनी योग्यता पर शक करने लगता है।
’ऐसा व्यक्ति बेतुके काम कर सकता है और संभव है कि पैसे कमाने के आसान उपायों का विकल्प चुन ले, जो वाकई जोखिम भरे होते हैं।
’कर्ज का मनोवैज्ञानिक प्रभाव व्यक्ति को दुखी, निराश और नाराज बना देता है। यह निश्चित रूप से उसके निजी और सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है।
’भावनात्मक नुकसान ज्ञान संबंधी कामकाज को प्रभावित करता है, जिससे याद करने, ध्यान देने और सवाल हल करने की शक्ति प्रभावित होती है।
’वित्तीय असुरक्षा का एहसास मानसिक गड़बड़ियों जैसे शिजोफ्रेनिया को बढ़ाता है।
’कर्ज में दबे लोगों की व्यवहार शैली में अकसर बदलाव देखा जाता है।
’मानसिक तनाव बढ़ने से नींद कम आती है, चिंता होती है और फोकस कम होता है।
’उनमें डर और घबराहट बढ़ना आम है।
’वित्तीय चिंता और कर्ज का भार सिरदर्द का कारण बनता है और कुछ अन्य लक्षणों का विकास होता है, जो असहज होने का एहसास कराते हैं। ऐसे मामलों से अकेले निपटना निश्चित रूप से बड़ा काम है। ऐसे लोगों में मानसिक गड़बड़ी हो जाती है।
’जिन लोगों का कर्ज बकाया चल रहा हो, उनमें समय पर किस्त चुकाने वालों के मुकाबले इस तरह की गड़बड़ी की आशंका ज्यादा होती है।

इस स्थिति से कैसे पाएं छुटकारा
इसके लिए सबसे अच्छे उपायों में से एक हो सकता है विशेषज्ञ की सलाह या काउंसलिंग। विशेषज्ञ वित्तीय योजना के नुस्खे भी सुझा सकते हैं और इस तरह आप तनाव से राहत प्राप्त कर सकते हैं। भावनात्मक प्रभाव कम करने के लिए आप चाहें तो सुविज्ञ थेरेपी से भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। किसी प्रमाणित थेरेपिस्ट से संपर्क से लाभ हो सकता है। थेरेपिस्ट अवसाद के संकेतों का पता लगाएगा और मामले को ठीक करने के लिए आपके लिए जरूरी खास थेरेपी की सलाह देगा। दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हममें से ज्यादातर लोगों पर थोड़ा-बहुत कर्ज होता है। यह कार लोन, टू व्हीलर लोन, मेडिकल इमरजेंसी या कोई पर्सनल लोन हो सकता है। किसी भी तरह का कर्ज हो, इसका प्रभाव भिन्न-भिन्न किस्म से पड़ता है। अगर आय के स्रोत के मुकाबले कर्ज की राशि ज्यादा हो, तो संक्षिप्त वित्तीय योजना आवश्यक है। अनावश्यक खर्चों से बचें और अपनी मासिक बचत बढ़ाएं। इसका लक्ष्य कर्ज को शीघ्र चुकाना रखें।

ध्यान दें
स्थिति का उपचार आवश्यक है, ताकि उससे राहत मिले। इसका असर मानसिक और शारीरिक तौर पर पड़ेगा और यह आपके वर्तमान तथा भविष्य की वित्तीय रणनीति को प्रभावित करेगा। अच्छी कोशिश कर और योजना बनाकर आप इस स्थिति से राहत पा सकते हैं और आर्थिक तौर पर सुरक्षित हो सकते हैं। अगर कर्ज की आवश्यकता वाजिब नहीं है, जो कर्ज मत लीजिए। इससे आप अपना मानसिक स्वास्थ्य खराब होने से बचा सकेंगे।

 

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