कमल सरकार का फॉर्म्युला तैयार, बचेगी कुर्सी?

भोपाल
मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी संकट के बीच कमलनाथ मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं। बताया जा रहा है कि सरकार बजट सत्र के बाद विस्तार करना चाहती है, वहीं निर्दलीय और असंतुष्ट कांग्रेस विधायक इसे पहले कराना चाहते हैं।

एमपी विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से शुरू हो रहा है। 17 बैठकों के बाद 13 अप्रैल को यह खत्म होगा। ऐसे में यह सत्र कमलनाथ सरकार के लिए लिटमस टेस्ट की तरह है। इसी सत्र के बीच 26 मार्च को तीन राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग है और यही सबसे बड़ी मुश्किल है। कमलनाथ सरकार कुछ विधायकों को मंत्री बनाकर बीजेपी की तरह से किसी जोड़-तोड़ की संभावना को खत्म करना चाहती है।

कैबिनेट विस्तार के साथ ही बोर्ड और कॉर्पोरेशनों में भी राजनीतिक नियुक्तियां की जा सकती हैं। एमपी कैबिनेट में अभी 28 मंत्री हैं और 230 सदस्यों की विधानसभा में 34 से ज्यादा मंत्री नहीं बनाने की संवैधानिक बाध्यता है। सूत्रों के मुताबिक नए चेहरों को समायोजित करने के लिए कम से कम पांच मंत्रियों से इस्तीफा लिया जा सकता है। कुछ मंत्रियों ने एक दिन पहले हुए बैठक में संकट टालने के लिए अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। माना जा रहा है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह खेमे के मंत्रियों से इस्तीफा लिया जाएगा। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मंत्रियों से इस्तीफा नहीं मांगा जाएगा। मंत्री महेंद्र सिसोदिया ने हाल ही में सिंधिया की उपेक्षा होने पर संकट बने रहने की बात कही थी।

अगले कुछ दिन तक मंत्रियों को भोपाल में बने रहने को कहा गया है। 230 सदस्यों के सदन में कांग्रेस के अपने 114 विधायक हैं। इसके अलावा उसे चार निर्दलीय, दो बीएसपी और एक एसपी विधायक का समर्थन हासिल है। निर्दलीय विधायकों केदार डावर (भगवानपुरा), प्रदीप जायसवाल (वरासियोनी), राणा विक्रम सिंह (ससनेर) और सुरेंद्र सिंह शेरा (बुरहानपुर) में से अभी प्रदीप जायसवाल के पास ही खनन मंत्रालय है। ऐसे में बाकी तीन निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। फॉर्म्युले के तहत इनमें से दो को राज्यमंत्री बनाने के अलावा एक को बोर्ड या कॉर्पोरेशन में समायोजित किया जा सकता है।

बीएसपी एमएलए रमाबाई सिंह (पथरिया) और संजीव सिंह (भिंड) भी सरकार का समर्थन कर रहे हैं। सियासी ड्रामे के दौरान रमाबाई चर्चा में रही थीं और इस हफ्ते की शुरुआत में वह दिल्ली गई थीं, जहां कथित रूप से वह बीजेपी के संपर्क में थीं। कमलनाथ कैबिनेट में जगह मिलने को लेकर वह आश्वस्त हैं। फॉर्म्युले के तहत रमाबाई को मंत्री पद और संजीव सिंह को बोर्ड या कॉर्पोरेशन में ओहदा मिल सकता है। एसपी के राजेश कुमार शुक्ला (बिजावर) भी सरकार का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें भी विस्तार में तवज्जो मिल सकती है।

कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे के बाद कांग्रेस और खतरा नहीं मोल लेने की स्तिति में है। ऐसे में किसे जगह मिलती है और कौन बाहर होता है इसका कांग्रेस विधायकों को बेसब्री से इंतजार है। कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा था कि बजट सत्र के बाद विस्तार हो सकता है। इसी के बाद से कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई थीं।

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