ऐसा हो सकता है मोदी सरकार 2.0 का 100 दिन का एजेंडा, क्या 5 लाख तक होगी टैक्स छूट?

 नई दिल्ली 
नई औद्योगिक नीति, पर्याप्त रोजगार सृजित करने वाले क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, प्रत्यक्ष कर की दरों को तर्कसंगत बनाना और बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का काम तेज करना, मोदी सरकार 2.0 के 100 दिन के इकोनॉमी के एजेंडे में शामिल हो सकते हैं. असल में 100 दिन के एजेंड के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से पीएमओ को मिल रहे सैकड़ों सुझावों में ये मसले शामिल हैं.

बजट में मिल सकती है करदाताओं को राहत
नई सरकार जुलाई में पूर्ण बजट पेश कर सकती है, जिसमें प्रत्यक्ष करों में कुछ बदलाव किया जा सकता है. कॉरपोरेट टैक्स रेट में मामूली कटौती की जा सकती है. व्यक्तिगत आयकर की बात करें तो छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये सालाना आय तक की जा सकती है. हालांकि कर चोरी रोकने के लिए कई कठोर उपायों का भी ऐलान किया जा सकता है. इसके अलावा निजी क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को दीर्घकालिक कर्ज मुहैया कराने के लिए कोई संस्थागत उपाय किया जा सकता है.

खेती किसानी और प्रमुख योजनाएं
देश की 50 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या जीविका के लिए खेती पर निर्भर है. पीएम ने चुनाव के दौरान वादा किया था कि किसानों को 6 हजार सालाना देने की योजना का विस्तार किया जाएगा यानी और किसानों को जोड़ा जाएगा. इसी तरह स्वास्थ्य और रोजगार सृजन की सभी बड़ी योजनाओं को भी पहले तीन महीने में नए सिरे से आगे बढ़ाया जाएगा.

कारोबार और सुगम होगा!
नरेंद्र मोदी प्रथम सरकार दुनिया में कारोबार के मामले में भारत की रैंकिंग को लगातार सुधारने की कोशिश करती रही है. इस साल भी इस बात पर खास जोर दिया जा सकता है कि विश्व बैंक के कारोबारी सुगमता वाली रैंकिंग में भारत का स्थान और ऊंचा हो. इसके लिए नियमों को लचीला बनाने और डेटा एवं प्रक्रियाओें के डिजिटलीकरण पर जोर होगा.

निवेश को बढ़ावा
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और घरेलू निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार नीतिगत घोषणा कर सकती है और भारत को उन कंपनियों के लिए आदर्श जगह बनाया जा सकता है, जो चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर की वजह से अपना बेस चीन से हटाकर कहीं और ले जाना चाहती है.

डिजिटल नीति
डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारतीय हितों की रक्षा के लिए नीतियां और कानून लाना भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल हो सकता है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका जैसी बड़ी आर्थ‍िक महाशक्तियों के साथ द्विपक्षीय व्यापार और निवेश वार्ताओं में सरकार का क्या असर रहता है.

तो अंतत: यह कहा जा सकता है कि मोदी सरकार के 100 दिन के एजेंडे में ऐसे नीतिगत और प्रशासनिक कदम शामिल किए जा सकते हैं, जिनका कारोबार, उद्योग, गरीबों और हाशिए के लोगों पर तात्कालिक असर पड़े.

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