ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट को 50 अरब का झटका!

बेंगलुरु
ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की नीति + में बदलाव से ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे दिग्गजों को बड़ा झटका लगने वाला है क्योंकि दोनों कंपनियों में हरेक के पास 2 से 2.5 हजार करोड़ रुपये के माल हैं। इनके लिए चिंता का सबब यह है कि 1 फरवरी से पहले इस विशाल भंडार को कैसे खत्म किया जाए। दरअसल, नई नीति में स्पष्ट कहा गया है कि कोई ई-कॉमर्स कंपनी उस वेंडर का सामान अपने प्लैटफॉर्म से नहीं बेच सकेगी जिसमें उस ई-कॉमर्स कंपनी या उसकी ग्रुप कंपनियों की हिस्सेदारी है।

ई-कॉमर्स कंपनियां फैशन, अक्सेसरीज और अपने टाइ-अप वाले ब्रैंड्स वाले दूसरी सॉफ्ट-लाइन कैटिगरीज के प्रॉडक्ट्स के तीन महीने के भंडार बनाया करती हैं। ऐमजॉन के लिए क्लाउडटेल और फ्लिपकार्ट के लिए रिटेलनेट का यही काम है। ये दोनों कंपनियां छोटे-बड़े ब्रैंड्स से प्रॉडक्ट्स खरीदती हैं, जिन्हें ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स पर ऑनलाइन बेचा जाता है। एक फैशन ब्रैंड के सीईओ ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि कच्चे-पक्के आकलन से पता चलता है कि ऐमजॉन-फ्लिपकार्ट के पास करीब-करीब 5 हजार करोड़ रुपये के भंडार पड़े हैं।

दरअसल, फैशन और सॉफ्ट लाइन कैटिगरीज दोनों कंपनियों के तीन बड़े बिजनसों में शामिल हैं। अभी बीते त्योहारी मौसम में इस सेगमेंट के सामानों की बिक्री 2,500 से 2,800 रुपये मूल्य की रही। इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, बिक्री में हिस्सेदारी के मामले में क्रमशः फ्लिपकार्ट, मिंट्रा और ऐमजॉन पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर रही। अब इन कंपनियों के बड़े अधिकारी एक महीने के अंदर अपने भंडार खाली करने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

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