एवरेस्‍ट के खौफनाक मंजर की आंखों देखी-‘रस्सियों से लटक रहे थे पर्वतारोहियों के शव’

  मेरठ 
एवरेस्‍ट के बेस कैंप के पास खड़ी अंजलि कुलकर्णी बहुत उत्‍साहित थीं, उनके सामने एवरेस्‍ट था जिसकी चोटी पर न जाने कितनी बार वह अपने सपनों में फतह हासिल कर चुकी थीं। पास खड़े दिल्‍ली के बिजनेसमैन आदित्‍य गुप्‍ता (50) अंजलि के उतावलेपन पर मुस्‍करा रहे थे।  
 
कुछ दिनों बाद जब वह चोटी से उतर रहे थे तो गुप्‍ता को अंजलि के पति से पता चला कि अंजलि की 22 मई को थकान की वजह से मौत हो गई थी। ठीक उसी दिन जिस दिन गुप्‍ता चोटी पर पहुंचे थे। गुप्‍ता ने हमारे सहयोगी को बताया, 'अंजलि के पति उनके शरीर को नीचे लाने की व्‍यवस्‍था कर रहे थे। उन्‍होंने मुझे बताया कि कैसे अंजलि अक्‍सर मजाक में कहती थीं कि अस्‍पताल में मरने से तो अच्‍छा है कि मेरी मौत किसी पहाड़ पर हो जाए। किसे पता था कि एक दिन उनके शब्‍द सच साबित होंगे।' 
 
रस्सियों से लटके थे कई दिन पुराने, जमे हुए शव 
गुप्‍ता ने एवरेस्‍ट पर चढ़ाई के अपने भयावह अनुभव बताते हुए कहा, 'मैं नहीं चाहता किसी को उन हालातों से गुजरना पड़े।' गुप्‍ता दिल्‍ली के पंचशील पार्क में फ्लोर फर्निशिंग का व्‍यापार करते हैं। उन्‍होंने बताया कि पर्वतारोहियों की भीड़ के बीच जब वह अपना रास्‍ता बना रहे थे उस दौरान उन्‍होंने रस्सियों से लटके, कई दिन पुराने, जमे हुए शव देखे। ये उन रस्सियों से लटके हुए थे जिनके सहारे पर्वतारोही पर्वत पर चढ़ते हैं। 

मीडिया में ऐसी ढेरों खबरें आईं थीं जिनमें एवरेस्‍ट पर चढ़ने वाले दूसरे पर्वतारोहियों के हवाले से बताया गया था कि चोटी तक पहुंचने की होड़ कितनी खतरनाक हो गई थी। लोग ऊपर तक पहुंचने के लिए शवों को धक्‍का देने, उनके ऊपर चलने तक में परहेज नहीं कर रहे थे। गुप्‍ता शुक्रवार को मेरठ में अपने पैरंट्स से मिलने आए थे। 

इस दौरान गुप्‍ता ने बताया, 'मैंने वहां जो कुछ भी देखा वह चौंकाने वाला था। एवरेस्‍ट पर चढ़ना हर पर्वतारोही का सपना होता है लेकिन वहां इतनी भीड़ हो गई थी कि लोग धक्‍का-मुक्‍की कर रहे थे। चढ़ाई के आखिरी हिस्‍से में पर्वतारोहियों को उस पांच मीटर की रस्‍सी को पकड़कर चढ़ना होता है जो उनके शरीर से बंधी होती है। जो लोग अपनी जान गवां बैठे थे, उनके शरीर इसी रस्‍सी से लटके हुए थे।' 
 
इस साल नेपाल ने रेकॉर्ड 381 परमिट दिए थे 
इस साल नेपाल सरकार ने हिमालय पर चढ़ने के लिए रेकॉर्ड 381 परमिट दिए थे। इसी की वजह से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर 'ट्रैफिक जाम' जैसे हालात हो गए थे। इसी तरह 'हिलेरी स्‍टेप' नाम के पड़ाव पर भी पर्वतारोहियों की लंबी लाइनें देखने को मिलीं। हिलेरी स्‍टेप खड़ी चढ़ाई वाला 12 मीटर का सबसे मुश्किल स्‍ट्रैच है। इस सीजन में करीब 11 मौतें थकान, माउंटेन सिकनेस और फ्रॉस्‍ट बाइट की वजह से हुई हैं। 

अनुभवी पर्वतारोहियों का कहना है कि एवरेस्‍ट पर चढ़ने वालों की मौत में आई तेजी की बड़ी वजह यह है कि मशहूर होने के लालच में बहुत बड़ी संख्‍या में अनुभवहीन पर्वतारोही दुनिया के सबसे खतरनाक इलाके में चले आते हैं। 

गुमराह करते हैं ट्रैवल ऑपरेटर 
गुप्‍ता भी इस बात से सहमत है कि बहुत से नौसिखिए पर्वतारोही ट्रैवल ऑपरेटरों की बातों में आ जाते हैं। इनसे ये ऑपरेटर सुरक्षित और कामयाब अभियान का वादा करते हैं। गुप्‍ता का कहना है, 'आपने कुछ चढ़ाइयां कर ली हैं तो इसका यह मतलब नहीं है कि आप एवरेस्‍ट पर चढ़ाई करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए लंबे समय तक तैयारी करनी पड़ती है। 29 हजार फीट की चढ़ाई के लिए मुझे अपना वजन कम करना पड़ा और अपने शरीर को तैयार करने के लिए रोज जिम जाना पड़ा।' 

शेरपाओं की दिखी अलग ही तस्‍वीर 
पिछली चढ़ाई के अनुभव ओर लंबे समय से की तैयारी की वजह से ही गुप्‍ता उस समय बिल्‍कुल नहीं घबराए जब उन्‍हें पता चला कि चार लोगों के उनके ग्रुप को लीड करने वाला शेरपा एक सदस्‍य के साथ गायब है। गुप्‍ता ने बताया, 'टीम के एक सदस्‍य ने शेरपा को कुछ पैसों का लालच देकर कहा था कि वह उसे जल्‍दी एवरेस्‍ट चढ़वा दे। हमें पता था कि हमें ऑक्सिजन को किस तरह इस्‍तेमाल करना है, इसलिए हम भी उसके बिना चलते रहे। उतरते समय, मेरे साथ एक दूसरा शेरपा था लेकिन अधिकांश समय वह इतना आगे चलता रहा कि किसी किस्‍म की कोई गाइडेंस नहीं मिल पाई।' 

गुप्‍ता के मुताबिक, ऐसे दूसरे पर्वतारोही भी थे जिन्‍हें उनके गाइडों ने भटकने के लिए छोड़ दिया था और वे असहाय हो गए थे। गुप्‍ता को जम्‍मू-कश्‍मीर की वह लड़की याद है जो इसलिए रो रही थी कि उसका ऑक्सिजन सिलिंडर खत्‍म हो रहा था और उसका शेरपा उसके पास नहीं था। गुप्‍ता बोले, 'शेरपा की छवि हीरो की तरह होती है लेकिन मैंने जो कुछ वहां देखा वह उनकी एकदम अलग ही तस्‍वीर थी।' 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *