एमपी मॉड्यूल का दूसरे राज्यों के मॉड्यूल से है कनेक्शन

भोपाल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना में टेरर फंडिंग (Terror Funding in Satna) से जुड़े नेटवर्क के पकड़े जाने के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं. एमपी में फैले मॉड्यूल का काम पाकिस्तानी हैंडलर्स के इशारे पर आईएसआई के जासूसों तक आर्थिक मदद पहुंचाना था. जांच में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि एमपी मॉड्यूल ने बिहार और वेस्ट बंगाल के कई खातों में लाखों रुपए ट्रांसफर किए हैं. एमपी एटीएस के साथ बिहार और वेस्ट बंगाल की सुरक्षा एजेंसियां भी इन खातों की जांच-पड़ताल कर रही हैं.

सतना पुलिस ने पांच दिन पहले टेरर फंडिंग के नेटवर्क से जुड़े बलराम और उसके दो साथी सुनील सिंह और शुभम मिश्रा को गिरफ्तार किया था. आरोपियों का पाकिस्तानी कनेक्शन समाने आने के बाद एमपी एटीएस ने इन सभी आरोपियों को अपनी कस्टडी में ले लिया. एटीएस आरोपियों से पूछताछ कर रही है. आरोपियों ने पूछताछ में इस बात का खुलासा किया है कि वे पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स के निर्देश पर काम कर रहे थे. आरोपी पाकिस्तानी हैंडलर्स से इंटरनेट कॉलिंग से बातचीत करते थे. उनके पास से 100 पाकिस्तानी हैंडलर्स के नंबर मिले हैं.

एमपी मॉड्यूल का कनेक्शन बिहार और वेस्ट बंगाल के मॉड्यूल से जुड़ रहे हैं. इस कनेक्शन के बाद सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आ गई हैं. आरोपियों से मिल रही जानकारियों को एमपी की सुरक्षा एजेंसियां केंद्रीय और दूसरे राज्यों की एजेंसियों से साक्षा कर रही हैं. एमपी एटीएस बलराम और उसके दो साथियों से लगातार पूछताछ कर रही है. पूछताछ में आरोपियों ने बिहार और वेस्ट बंगाल के कई बैंक खातों में लाखों रुपए ट्रांसफर करने की बात कबूली है.

ये खाते आईएसआई एजेंटों के बताए जा रहे हैं, जो भारत में रहकर पाकिस्तान के लिए जासूसी का काम कर रहे हैं. भारत में फैले पाकिस्तानी जासूस सेना के साथ यहां की महत्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तान भेजते रहते हैं. जिन बैंक खातों का खुलासा हुआ है, उनकी जांच एमपी एटीएस के साथ वेस्ट बंगाल और बिहार की सुरक्षा एजेंसियां भी कर रही हैं. इन खातों में बलराम और उसके साथियों के जरिए राशि पहुंचाई गई. ये राशि  बलराम को पाकिस्तान हैंडलर्स ने मुहैया कराई थी.

आयकर विभाग की रडार से बचने के लिए पाकिस्तानी हैंडलर्स और फायनेंसर स्लीपर सेल के लोग पचास हजार से कम की राशि ट्रांसफर करते थे. एमपी में फैले मॉड्यूल का आरोपी बलराम अहम कड़ी है. उसके साथ और कितने लोग जुड़े हैं और किन-किन शहरों में नेटवर्क से जुड़कर फायनेंसर स्लीपर सेल कमीशन के चक्कर में पाकिस्तानी हैंडलर्स के इशारे पर काम कर रहे हैं. इन सभी बिंदुओं पर आरोपियों से पूछताछ की जा रही है और पूछताछ में आगे भी कई बड़े खुलासे होने की संभावना है.

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