एमपी में नहीं रुक रहा दलबदलुओं का खेल, ऐन मौके पर बदल रहे पार्टी
भोपाल
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं के दलबदल का दौर जारी है. दर्जन भर से ज्यादा नेता सियासी फायदे की खातिर अपनी अपनी पार्टियां छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो रहे हैं. खास बात ये भी है कि इनमें वो नेता भी हैं जो कई बार पार्टियां बदल चुके हैं.
दरअसल, हाल ही में चौधरी राकेश सिंह ने पाला बदलकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने कांग्रेस ज्वाइन कर ली और कहा कि वे अंतिम सांस तक सिंधिया और कांग्रेस के लिए काम करेंगे. सवाल उठाना लाजिमी है कि आखिर चुनावी सीजन में ही क्यों नेता दलबदल करते हैं. सवाल यह भी है कि ऐसे नेताओं पर जनता का क्या मूड होना चाहिए.
ये वही चौधरी राकेश सिंह हैं जिन्होंने एमपी विधानसभा में आए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था. चौधरी राकेश सिंह करीब 5 साल तक बीजेपी में रहे 2018 का विधानसभा चुनाव भी बीजेपी के टिकट पर लड़ा लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान फिर कांग्रेस में लौट आए.
वैसे चौधरी राकेश सिंह अकेले नहीं हैं जिन्हें सियासी फायदे की खातिर दलबदल करना बेहतर लगा है. इस फेहरिस्त में कई और नाम शामिल हैं.
-पूर्व विधायक निशिथ पटेल की भी कांग्रेस में घर वापसी हुई है
-निशिथ पटेल बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं
-युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है
-बीजेपी के पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के भाई विनोद शुक्ला कांग्रेस में शामिल हुए
-बीएसपी छोड़कर पूर्व विधायक बलबीर डंडौतिया कांग्रेस में शामिल हुए
-बीएसपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार कांग्रेस में शामिल हुए
-बीजेपी के पूर्व विधायक आर डी प्रजापति समाजवादी पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे हैं
दलबदल से नेताओं की निष्ठा पर सवाल भले खड़े होते हों लेकिन सियासी दलों के ये कोई बड़ा मुद्दा नहीं हैं. लोकतंत्र में जनता को नेता और नेताओं को पार्टियां चुनने का अधिकार है. लेकिन जिन नेताओं के लिए पार्टियां बदलना शौक बन जाए और जनता का उपहास हो ऐसे नेताओं की जगह कहां होनी चाहिए इसका फैसला शायद जनता खुद ही करे.