प्रदेश के डिस्टलर्स को 653 करोड़ रूपए का अनुचित लाभ 

ग्वालियर
आबकारी विभाग के अफसरों की सांठगांठ से कुछ साल के भीतर देशी शराब की सप्लाई करने वाले प्रदेश के डिस्टलर्स को 653 करोड़ रूपए का अनुचित लाभ हुआ है। प्रदेश के डिस्टलर्स के मनमाफिक नीति निर्धारित की गई। जिसमें दूसरे राज्यों के डिस्टलर्स को देशी मदिरा उत्पादन व सप्लाई की टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया गया। 

इस कारण टेंडर में सही से प्रतिस्पर्धा नहीं हुई। इधर मप्र के डिस्टलर्स की गुटबंदी हो गई। उन्होंने एक दूसरे को लाभ पहुंचाने टेंडर में अपने हिसाब से दरें भरीं और अलग-अलक जिलों में मनमाफिक कीमत में सप्लाई का ठेका प्राप्त कर लिया। पड़ौसी राज्यों राजस्थान,उत्तरप्रदेश की तुलना में ज्यादा कीमत में देशी शराब की सप्लाई की गई। जिससे सीधे तौर पर प्रदेश के हर डिस्टलर को लाभ पहुंचा। वहीं दूसरे राज्यों की तुलना में मप्र शासन को भी कम शुल्क प्राप्त हुआ। 

क्योंकि मप्र में चुनिंदा डिस्टलर ही हैं,उन्होंने जो रेट टेंडर में डाली,वह दूसरे राज्यों की रेट से ज्यादा रहीं और इस पर जो शुल्क शासन को मिलता है,वह दूसरे राज्यों के कम था। मतलब यह है कि डिस्टलर ने ज्यादा कीमत में फुटकर ठेकेदारों को शराब दी और शासन को ड्यूटी शुल्क भी कम दिया। इस तरह वर्ष 2012-13 से लेकर वर्ष 2016-17 तक मप्र के डिस्टलर्स को 653 करोड़ से ज्यादा बेजा लाभ पहुंचा। 

प्रदेश के डिस्टलर्स को लाभ पहुंचाने का खुलासा भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट से हुआ है। मार्च 2017 तक के आबकारी विभाग के आय-व्यय के लेखा-जोखा की जांच करने पर पाया गया कि आबकारी विभाग ने देशी शराब के उत्पादन व सप्लाई के ठेका में बाहरी डिस्टलर्स को शामिल नहीं किया। 

यही बजह रही कि प्रदेश के डिस्टलर एकजुट हो गई और मनमाफिक दरों में ठेका हासिल कर दिए। बाहरी डिस्टलर अगर टेंडर में आते तो निश्चित रूप से प्रतिस्पर्धा बढ़ती। इससे कम दरों में शराब सप्लाई के ठेका उठ सकते थे,साथ ही शासन को भी ज्यादा ड्यूटी शुल्क प्राप्त होता। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग को दूसरे राज्यों में मदिरा सप्लाई की दरों का विश्लेषण करना चाहिए था। इसके अलावा वहां की लागत का भी परीक्षण करना चाहिए था। रिपोर्ट में राजस्थान और उत्तरप्रदेश में सप्लाई हो रही देशी व प्लेन शराब की कीमत से मप्र में सप्लाई हो रही शराब की कीमत की तुलना एक तालिका बनाकर की है। जिसमें साफ जाहिर हो रहा है कि मप्र में महंगी कीमत में डिस्टलर्स ने शराब सप्लाई की है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *