एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

भोपाल
एक तरफ एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर के निधन से देशभर में शोक की लहर है। वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश जोशी की तबियत बिगड़ गई है।आनन-फानन में उन्हें भोपाल के एक निजी अस्पताल मे भर्ती करवाया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।

इससे पहले भी जोशी की तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी। उन्हें  शुगर बढ़ने के चलते उन्हें परेशानी बढ़ गई थी। अप्रैल में उन्हें निमोनिया के चलते परेशानी ज्यादा थी। जांच में उनका सोडियम का स्तर भी कम पाया गया था। इसलिए छह दिन पहले अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।  हाल ही में जब जोशी की तबीयत बिगड़ी थी तब सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अस्पताल जाकर उनसे मुलाकात की थी और उनका हाल जाना था। खबर मिलते ही कई दिग्गज नेता उनका हाल जानने अस्पताल पहुंचे थे।  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी के साथ मंत्री पीसी शर्मा भी उनका हाल जानने पहुंचे थे।

कैलाश जोशी भाजपा के कद्दावर नेता हैं। कैलाश जोशी 90 साल के हैं और मध्यप्रदेश के सीएम रह चुके हैं। कैलाश जोशी मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रहे हैं एक कपड़ा व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखने वाले कैलाश चंद्र जोशी देवास से थे। जोशी जनसंघ बनने के बाद से ही इसके साथ जुड़े हुए थे। एक बार नगर पंचायत अध्यक्ष रहने के बाद जोशी 1962 से लगातार बागली विधानसभा से विधायक बनते आ रहे थे। 19 महीने तक मीसा के तहत जेल में बंद रहने के बाद जब वो बाहर आए तो बागली ने उन्हें फिर जिताया था। लेकिन जोशी की स्वीकार्यता बागली से बाहर भी थी और जनसंघ से बाहर भी। व्यवहार में कड़क जोशी के विरोधी भी कहते, क्या सीधा और सच्चा आदमी है। जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड को भी जोशी का नाम ज़्यादा जंचा। 24 जून, 1977 को कैलाश जोशी मध्यप्रदेश के इतिहास में पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री हुए थे।

 2004 से 2014 तक वो भोपाल लोकसभा सीट से सांसद रहे। तबियत खराब होने के कारण 2014 में उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा। कैलाश जोशी की उम्र 90 साल से ज्यादा है और अब उनका ज्यादातर वक्त हॉस्पिटल में बीतता है। 1975 में देश में आपातकाल की घोषणा हुई थी। आपातकाल के बाद साल 1977 में देश में चुनाव हुए थे। मध्य प्रदेश में भी विधानसभा के चुनाव हुए और जनता पार्टी को विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत से जीत मिली थी। 26 जून, 1977 को वह मध्य प्रदेश के 9वें और प्रदेश के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे।

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