एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में सपाक्स फिर करेगी आंदोलन

भोपला
सपाक्स एवं सपाक्स समाज एक बार फिर एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में एकजुट हो रहा है। राजधानी में रविवार को हुए प्रांतीय सम्मेलन में एट्रोसिटी एक्ट की वजह से जान गंवाने वाले डॉ शिवम मिश्रा के परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा देन की मांग की है। साथ ही संगठन की आगामी रणनीति पर चर्चा हुई। जिसके तहत सपाक्स एक बार फिर एट्रोसिटी एक्ट के दुष्परिणाम एवं अन्य मांगों को लेकर सड़क पर उतरेगा। 

प्रांतीय सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने जहां एक ओर एट्रोसिटी एक्ट को मान सर्वोच्च न्यायालय के निदेर्शों की पूर्ण अवमानना कर संशोधित कर और कड़ा किया, वहीं राज्य सरकार ने भी ऐसा कोई उपाय नहीं किया कि इसके दुरुपयोग को रोका जा सके। इसी का परिणाम यह हुआ कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चुरहट जिला सीधी के एक युवा डॉ शिवम मिश्रा को झूठे आरोपों से इतना प्रताड़ित किया गया कि उसने मौत को गले लगा लिया। जब एक शासकीय अधिकारी इस तरह से प्रताड़ित किया जा सकता है तो सामान्य नागरिक की स्थिति का अनुमान किया जा सकता है। कुछ माह पूर्व विदिशा जिले में एक साधारण किसान को भी इस कानून की धमकी मात्र ने आत्महत्या के लिए विवश किया था। 

हाल ही में भोपाल में रहने वाले एक विधायक के परिवार ने इस कानून को हथियार बनाकर पूरे विद्यानगर को परेशान किया है। संस्था ने 1 फरवरी 2019 को प्रदेश भर में इस काले कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर जन सामान्य का ध्यान आकर्षित किया था। संस्था महामहिम राष्ट्रपति, मान प्रधानमंत्री एवं अन्य संबंधितों को इस काले कानून को संशोधित कर उस स्वरूप में बनाने की मांग करेगी। प्रांतीय सम्मेलन में संरक्षक राजीव शर्मा सचिव नगरीय प्रशासन, डॉ के एस तोमर अध्यक्ष, राजीव खरे सचिव, उपाध्यक्ष श्रीमती रक्षा दुबे, संस्थापक सदस्य अजय जैन, आलोक अग्रवाल, आरबी राय आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। 

पदोन्नति में आरक्षण को लेकर वर्तमान सरकार ने भी गंभीरता नहीं दिखाई है। इस मुद्दे को लेकर सरकार के मंत्रियों को अवगत करा दिया गया है, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अभी तक चर्चा के लिए समय नहीं दिया है। संस्था नई सरकार से अपेक्षा करती है कि वह समभाव से अपने अधीनस्थ शासकीय सेवकों से व्यवहार करेगी। 20 फरवरी तक सरकार द्वारा संस्था को शासन की मान्यता न दिए जाने की स्थिति में पूरे प्रदेश में आंदोलन की शृंखला चालू की जाएगी। 

युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक सोनी ने आरोप लगाया कि सपाक्स वर्ग के युवाओं से शासकीय नीति में किए जा रहे भेदभाव के कारण न सिर्फ शिक्षा बल्कि रोजगार की दृष्टि से युवा लगातार प्रताड़ित हैं। सरकार द्वारा सपाक्स वर्ग के लिए उपलब्ध 1.5 लाख पदों की पूर्ति के कोई भी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जबकि लाखों युवा बेरोजगार घूम रहे हैं।  सरकार पढ़े लिखे युवाओं का संविदा/ ठेके पर नियुक्ति कर शोषण कर रही है। आरक्षण/ बैकलॉग के खेल में वर्षों बाद निकली 4500 सहायक प्राध्यापक की भर्ती खटाई में पड़ी है। यही स्थिति अन्य विभागों में भी है।

संस्था के विस्तार हेतु यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रत्येक जिले में विभागवार संस्था अध्यक्ष बनाए जाएंगे जो जिला कार्यकारिणी में पदेन उपाध्यक्ष होंगे। इसी प्रकार की व्यवस्था राज्य स्तर पर भी की जावेगी। संस्था के प्रांतीय कार्यकारिणी द्वारा  मनोनीत पदाधिकारियों के चयन को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया। सचिव राजीव खरे ने संस्था के वर्ष 17-18 के लेखा, संस्था गतिविधियों का विस्तृत विवरण दिया। सपाक्स समाज संस्था अध्यक्ष डॉ के एल साहू ने अपने कहा कि जिस तरह हम पूर्व वर्षों में इसका विरोध कर जन जागरण कर रहे हैं उसका परिणाम विगत सरकार को भुगतना पड़ा है। वर्तमान सरकार से अपेक्षा है कि शीघ्र न्यायपूर्ण कार्यवाही सुनिश्चित करे ताकि प्रदेश में समरसता का वातावरण नष्ट न हो अन्यथा सपाक्स समाज संस्था अपनी गतिविधियों को निरंतर विस्तार देकर विरोध को तेज करेगी।

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